अब शिक्षा में आयेगा तुफान! MP की इस यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाएगा ‘थैंक यू’ कोर्स, छात्रों में की बदल जाएगी सोच

अब शिक्षा में आयेगा तुफान! MP की इस यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाएगा ‘थैंक यू’ कोर्स, छात्रों में की बदल जाएगी सोच


सागर. धन्यवाद या थैंक यू कहते हुए आपने अक्सर लोगों को देखा सुना होगा और शायद इसे सुनकर आप आगे बढ़ जाते होंगे, लेकिन धन्यवाद का भाव किसी इंसान के जीवन की दिशा और दशा कैसे बदल सकता है. यह आप शायद ही जानते होंगे, लेकिन अब जीवन में कृतज्ञता का महत्व बताने समझने और अपनी दिनचर्या में लाने के लिए 6 महीने का कोर्स कराया जा रहा है और यह सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि सिलेबस तैयार कर पेपर तक इंट्रोड्यूस किया गया है.

सागर की डॉक्टर हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी भारत की एकमात्र और पहली यूनिवर्सिटी बन गई हैं, जहां थैंक यू के महत्व पर कोर्स कराया जा रहा है. बीए थर्ड सेमेस्टर में एबिलिटी इन्हेंसमेंट कोर्स के तहत इंर्पोटेंस ऑफ ग्रेटीट्यूड इन लाइफ (जीवन में कृतज्ञता का महत्व) पेपर बनाया गया है.

इसको लेकर यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग के प्रोफेसर ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एबिलिटी इन्हेंसमेंट कोर्स लागू करने की बात आई थी, तो उसके तहत यह कोर्स शुरू कराया गया है, जिससे बच्चों में काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं.

प्रोफेसर ब्रजेश श्रीवास्तव कहते हैं कि अगर हम महान हस्तियां को देखें जिसमें गौतम बुद्ध, महात्मा गांधी,  स्वामी विवेकानंद, अब्दुल कलाम, से लेकर अल्बर्ट आइंस्टीन तक सभी धन्यवाद के भाव में रहे और इन्हें इससे बहुत कुछ मिला है इसी को ध्यान में रखते हुए कि यह सब लाभ  हमारे बच्चों को क्यों ना मिले इसलिए जीवन में कृतज्ञता का महत्व बताया जा रहा है.कहते हैं की कृतज्ञता अमीरी है और शिकायत गरीबी, हम जब शिकायत करते हैं तो गरीबी की ओर बढ़ते हैं और जब धन्यवाद देते हैं, कि जो कुछ हमारे पास है उसमें हम कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, तो हम अमीरी की ओर बढ़ना शुरू कर देते हैं. धन्यवाद ऐसा है कि जीवन के हर क्षेत्र में से लाभ मिलता है क्योंकि आप हमेशा पॉजिटिव बने रहते हैं. अल्बर्ट आइंस्टीन से जब पूछा गया था कि उनकी सफलता का राज क्या है, तो उन्होंने यही कहा था कि वह दिन भर याद करके 100 लोगों को धन्यवाद देते हैं, जिनके कारण की उनका आंतरिक एवं बाह्य जीवन निर्मित हुआ है. वह धन्यवाद के महत्व को जानते थे.

इस पेपर को पढ़ने के बाद दो बैच निकल चुके हैं. इसका छात्रों को अपने जीवन में काफी लाभ मिल रहा है. उनका पढ़ाई में मन लगने लगा है उन्होंने टीवी देखना बंद कर दिया है घर का कामकाज भी अच्छी तरह से करने लगे हैं, पढ़ाई में रुचि लेने लगे हैं सबसे बड़ी बात उनका नजरिया सकारात्मक हो चुका है एवं वे हर पल ख़ुशी के अहसास में रहना सीखते जा रहे हैं.
कहते हैं मनचाही स्थिति में तो धन्यवाद सभी देते हैं लेकिन अनचाही स्थिति में धन्यवाद दो तब उसका महत्व है, तो हमारे जो छात्र हैं. वह अनचाही परिस्थितियों में भी धन्यवाद देना धीरे-धीरे सीख रहे हैं. इस पेपर का यह सबसे बड़ा फायदा है जिससे बच्चे काफी लाभान्वित हो रहे हैं निरंतर इस कोर्स को करने में छात्रों की रुचि बढ़ती जा रही है.

प्रोफेसर श्रीवास्तव के मुताबिक इस पेपर को पढ़ने के बाद छात्र प्रतिदिन ग्रेटीट्यूड डायरी लिख रहें. रात्रि को सोने के पूर्व दिन भर उनके साथ घटी अच्छी बातों को याद कर सोते हैं जिससे उनके अवचेतन मन में भी कृतज्ञता का भाव बिकसित  होता जा रहा है. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि वे स्वयं सुबह सबसे पहले उठ कर ईश्वर का आभार प्रकट करते हैं कि उन्हें एक और दिन मिला है, इसके बाद वे अपने बिस्तर, पंखा को अच्छी नींद के किए धन्यबाद देते हैं, फिर बाथरूम में नल में आरहे पानी के किए धन्यवाद देते हैं. मॉर्निंग वाक के समय पेढ़, हवा सूर्य के प्रकाश को धन्यबाद देते हैं.

वह बताते हैं एक दिन भी नल में पानी न आने पर हम इरिटेट हो जाते हैं, तब हमें यह सोचना चाहिये कि क्या हम रोज़ जब पानी आता था तब धन्यबाद देते थे यदि नहीं तो हमें इरीटेट होने का कोई हक नहीं है.प्रोफेसर श्रीवास्तव ध्यान के समय अपने शरीर के हर अंग को धन्यबाद देते हैं क्यूंकि उनके ठीक तरह से काम करने से ही उनका स्वाथ्य ठीक रहता है. वे भोजन करने से पहले खेत, किसान, दुकानदार, सब्जी वाला, खाना बनाने वालों को धन्यबाद देना कभी नहीं भूलते. कृतज्ञता व्यक्त करने संबंधी यही मूल्य वे छात्रों में विकसित करने का प्रयास वे इस कृतज्ञता के महत्व वाले पेपर को पढ़ा कर कर रहे हैं. इसका श्रेय वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के विश्वविद्यालय में हुए सफल क्रियान्वयन को देते हैं.

दिन की शुरुआत अपने कूलर पंखा पलंग और नल से करते हैं, क्योंकि पंखे और पलंग की वजह से अच्छी नींद आई बाथरूम में जाने पर नल से पानी मिल, क्योंकि जब कभी पानी नहीं आता है, तो हम एडिटेड हो जाते हैं, लेकिन जब पानी आता रहा तो क्या हम ने उसे कभी धन्यवाद दिया. अगर हमारे जीवन में धन्यवाद का भाव आ जाता है तो नेगेटिविटी दूर हो जाती है.



Source link