सागर. धन्यवाद या थैंक यू कहते हुए आपने अक्सर लोगों को देखा सुना होगा और शायद इसे सुनकर आप आगे बढ़ जाते होंगे, लेकिन धन्यवाद का भाव किसी इंसान के जीवन की दिशा और दशा कैसे बदल सकता है. यह आप शायद ही जानते होंगे, लेकिन अब जीवन में कृतज्ञता का महत्व बताने समझने और अपनी दिनचर्या में लाने के लिए 6 महीने का कोर्स कराया जा रहा है और यह सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि सिलेबस तैयार कर पेपर तक इंट्रोड्यूस किया गया है.
इसको लेकर यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग के प्रोफेसर ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एबिलिटी इन्हेंसमेंट कोर्स लागू करने की बात आई थी, तो उसके तहत यह कोर्स शुरू कराया गया है, जिससे बच्चों में काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
इस पेपर को पढ़ने के बाद दो बैच निकल चुके हैं. इसका छात्रों को अपने जीवन में काफी लाभ मिल रहा है. उनका पढ़ाई में मन लगने लगा है उन्होंने टीवी देखना बंद कर दिया है घर का कामकाज भी अच्छी तरह से करने लगे हैं, पढ़ाई में रुचि लेने लगे हैं सबसे बड़ी बात उनका नजरिया सकारात्मक हो चुका है एवं वे हर पल ख़ुशी के अहसास में रहना सीखते जा रहे हैं.
कहते हैं मनचाही स्थिति में तो धन्यवाद सभी देते हैं लेकिन अनचाही स्थिति में धन्यवाद दो तब उसका महत्व है, तो हमारे जो छात्र हैं. वह अनचाही परिस्थितियों में भी धन्यवाद देना धीरे-धीरे सीख रहे हैं. इस पेपर का यह सबसे बड़ा फायदा है जिससे बच्चे काफी लाभान्वित हो रहे हैं निरंतर इस कोर्स को करने में छात्रों की रुचि बढ़ती जा रही है.
वह बताते हैं एक दिन भी नल में पानी न आने पर हम इरिटेट हो जाते हैं, तब हमें यह सोचना चाहिये कि क्या हम रोज़ जब पानी आता था तब धन्यबाद देते थे यदि नहीं तो हमें इरीटेट होने का कोई हक नहीं है.प्रोफेसर श्रीवास्तव ध्यान के समय अपने शरीर के हर अंग को धन्यबाद देते हैं क्यूंकि उनके ठीक तरह से काम करने से ही उनका स्वाथ्य ठीक रहता है. वे भोजन करने से पहले खेत, किसान, दुकानदार, सब्जी वाला, खाना बनाने वालों को धन्यबाद देना कभी नहीं भूलते. कृतज्ञता व्यक्त करने संबंधी यही मूल्य वे छात्रों में विकसित करने का प्रयास वे इस कृतज्ञता के महत्व वाले पेपर को पढ़ा कर कर रहे हैं. इसका श्रेय वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के विश्वविद्यालय में हुए सफल क्रियान्वयन को देते हैं.
दिन की शुरुआत अपने कूलर पंखा पलंग और नल से करते हैं, क्योंकि पंखे और पलंग की वजह से अच्छी नींद आई बाथरूम में जाने पर नल से पानी मिल, क्योंकि जब कभी पानी नहीं आता है, तो हम एडिटेड हो जाते हैं, लेकिन जब पानी आता रहा तो क्या हम ने उसे कभी धन्यवाद दिया. अगर हमारे जीवन में धन्यवाद का भाव आ जाता है तो नेगेटिविटी दूर हो जाती है.