मोहन ढाकले/बुरहानपुर: मोहक लाल रंग, मीठा स्वाद और बाजार में खास डिमांड मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से आ रही यह खेती की कहानी, किसी उपन्यास से कम नहीं. यहां का हर किसान जानता है कि अगर कुछ सही तरीके से किया जाए, तो खेती भी आपके पर्स को भर देती है.
डॉक्टर केसेवर, जो कृषि विशेषज्ञ हैं बताते हैं कि बुरहानपुर में लाल केला 12-15 महीने में तैयार हो जाता है. लेकिन सर्दी के दिनों में इसके पौधे का तना थोड़ा कमजोर हो सकता है. उन्होंने बताया कि अगर उस समय तने को बाँस की “बोस्बल्ली” (सहारा डालने की जाल) से सहारा दिया जाए, तो पौधा पूरी तरह बच जाता है और फल सही समय पर पकते हैं. इस थोड़ी सी सावधानी से पूरा खेत बचता और अगले सीजन की शुरुआत होती है.
लंबा तना, भारी उपज
आमतौर पर केले के पौधे 8–10 फीट ऊँचे होते हैं, लेकिन लाल केले का पौधा 12–15 फीट तक फैलता है. इसके फल 10 फीट की ऊँचाई से लगना शुरू होते हैं, और एक पौधे पर 30 से 40 किलो तक फल उगते हैं. लगता है जैसे प्रकृति ने इन पौधों में तक़दिर बाँट दी हो.
एक पौधा तैयार करने का खर्च ₹100–₹120 है. वहीं मुनाफे की बात करें तो इसका एक पौधा ₹400–₹500 में बिक जाता है. मतलब, नींव पर थोड़ी मेहनत और सहयोग देने के बाद आपको सौ से पांच गुना तक का रिटर्न मिलता है!
फल की बिक्री भी शानदार है – एक लाल केला ₹15–₹20 के बीच बिकता है, जो दर्जन में ₹140–₹150 तक पहुँच जाता है. बाजारों से लेकर मेट्रो शहरों तक इसकी भारी मांग है, और यह विदेशों में भी निर्यात होता है.
12–15 फीट ऊँचे पौधे से भारी उपज होती है, जिससे खेत सिर उठा दिया है.
₹100–₹120 में लगा पौधा ₹400–₹500 में बिक जाए – सोचिए इस पारिश्रमिक का मतलब क्या होता है!
बाज़ार में भारी डिमांड
एक केला ₹15–₹20 तक, दर्जन ₹140–₹150, और मेट्रो–विदेश में मांग भी.
बस थोड़ी देखभाल और मौसम की समझ से, किसान सालाना लाखों कमाई की सीढ़ी चढ़ सके.