9 महीने में लगे आम! ग्राफ्टिंग तकनीक से किसान बना मुनाफे का राजा, जानिए कैसे?

9 महीने में लगे आम! ग्राफ्टिंग तकनीक से किसान बना मुनाफे का राजा, जानिए कैसे?


अनुज गौतम सागर: जब आम की बात होती है, तो ज़हन में लंबा इंतज़ार और सालों की मेहनत आ जाती है. लेकिन अब इस धारणा को बदला है कपूरिया ग्राम के प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया ने. उन्होंने अपनी ज़मीन पर 450 से अधिक आम के पेड़ ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार किए हैं, जिनमें महज़ 9 से 10 महीने में फल आना शुरू हो जाता है.

ग्राफ्टिंग यानी कलम विधि आज की कृषि में क्रांति ला रही है. जहां पहले आम के पेड़ों को गुठली से उगाने में 5 से 6 साल लगते थे, अब वही पौधे 1 साल के अंदर तैयार होकर फल देना शुरू कर देते हैं.

क्या है ग्राफ्टिंग तकनीक?
ग्राफ्टिंग या गूटी तकनीक में पौधे को तैयार अवस्था में दूसरी मजबूत जड़ या तने पर लगाया जाता है, जिससे उसकी ग्रोथ तेज होती है और फल आने की प्रक्रिया बहुत कम समय में शुरू हो जाती है. इस तकनीक में बीज का इंतज़ार नहीं, बल्कि सीधे उत्पादक कलम लगाई जाती है.

आकाश चौरसिया बताते हैं कि पहले गुठली से पेड़ लगते थे और सालों बाद फल मिलते थे, लेकिन अब कलम विधि से तैयार पौधे जुलाई में लगाने पर फरवरी तक फल देने लगते हैं.

फलों की जल्दी चाह ठीक नहीं?
भले ही पौधा 9 महीने में फल दे सकता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि पहले दो साल पौधों को फलने न दें. क्योंकि पौधे की उम्र कम हो जाती है और उसकी जड़ें कमजोर रह जाती हैं.

आकाश चौरसिया कहते हैं कि तीसरे साल से फल लेना शुरू करें, इससे पौधे की उम्र और फलन दोनों बढ़ेंगे.

मानसून है सबसे मुफ़ीद मौसम
यदि आप आम का बगीचा लगाना चाहते हैं तो जुलाई से सितंबर के बीच का समय सबसे सही माना जाता है. इस समय लगाया गया ग्राफ्टेड पौधा शारीरिक और जैविक रूप से मजबूत होता है और फरवरी तक उसमें फ्लावरिंग शुरू हो जाती है.

योजना का लाभ भी लें
जो किसान आम का बगीचा लगाना चाहते हैं, वे उद्यानिकी विभाग में पंजीयन कर योजना का लाभ उठा सकते हैं. इस योजना में 3 साल तक 100% अनुदान दिया जा रहा है यानी खेती की लागत शून्य और मुनाफा पूरी तरह आपका.



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