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Japanese Encephalitis Research: भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने जापानी बुखार पर चौंकाने वाला खुलासा किया है.इसके लिए 22 जिलों में रिसर्च की गई है. जानें सब…
हाइलाइट्स
- एमपी में जापानी इंसेफेलाइटिस तेजी से फैल रहा है
- 22 जिलों में 761 बच्चों पर शोध, 13% सैंपल पॉजीटिव पाए गए
- बुखार आने पर तुरंत डॉक्टरी परामर्श जरूरी
Sagar News: जानलेवा जापानी बुखार को लेकर भोपाल एम्स के डॉक्टरों की रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस मध्य प्रदेश में तेजी से पैर पसार रहा है, लेकिन धान उत्पादित क्षेत्र में सबसे ज्यादा वायरस पाया गया है. क्योंकि, यहां पर ‘क्लूलो मॉस्किटो’ ज्यादा होते हैं, जिसके कारण यह इंसानों में फैला है. मध्य प्रदेश के सागर, छिंदवाड़ा, इटारसी, रीवा, नरसिंहपुर, बालाघाट सहित अन्य जिलों में इसके अधिक पाए जाने की पुष्टि हुई है. यह वायरस बारिश के मौसम और गर्मी की शुरुआत में फैलता है.
22 जिलों में इतने बच्चों पर शोध
शोधकर्ताओं में भोपाल एम्स के डॉ. देवाशीष विश्वास, आईसीएमआर डॉ. रामकुमार नेमा ,पशु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अश्विन रावत और बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के डॉ.सुमित रावत सहित दर्जन भर डॉक्टर की टीम ने इस पर काम किया. इसमें 22 जिलों से कुल 761 बच्चों में टेस्ट किया गया. इसमें 99 बच्चे यानी की 13% सैंपल पॉजीटिव आए हैं.
माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रभारी और इस रिवर्च में शामिल डॉ. सुमित रावत ने बताया, जापानी इंसेफिलाइटिस को लेकर मलेरिया विभाग द्वारा समय-समय पर टीकाकरण कराया जाता है. लेकिन, इससे बचाव के लिए बुखार आने पर मरीज को तुरंत डॉक्टरी परामर्श जरूरी है. मच्छरों से बचाव करना चाहिए. इस वायरस से पीड़ित मरीज को झटके आना, दिमागी बुखार में इलाज न मिलने पर मौत भी हो सकती है.
यूपी में करीब 5000 लोग मरे थे
डॉक्टर ने कहा, ऐसे में अब सरकार को भी सतर्क हो जाना चाहिए. कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है. ताकि, अगर कभी ये बुखार अचानक से बढ़ गया तो उस पर कंट्रोल किया जा सके, नहीं तो भयंकर तबाही मचा सकता है. क्योंकि उत्तर प्रदेश में महज कुछ सालों में ही हजारों लोग इस वायरस की चपेट में आ गए थे. करीब 5000 लोगों की मौत हो गई थी.