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Original Desi Ghee: मध्य प्रदेश से लेकर राजस्थान, गुजरात में मिलने वाली एक खास देसी नस्ल की गाय का घी 2500 रुपये किलो तक बिक रहा है. इसमें A2 प्रोटीन पाया जाता है, जो बेहद खास है. जानें सब…
हाइलाइट्स
- खास देसी नस्ल की गाय के दूध बनता है ये घी
- विदेशों में डिमांड के कारण खूब हो रहा एक्सपोर्ट
- मध्य प्रदेस से राजस्थान तब में बिलौना घी मशहूर
Khandwa News: मध्य प्रदेश के खंडवा समेत कई जिलों में एक खास देसी गाय की नस्ल का घी आजकल चर्चा का विषय बना है. यह घी बाजार में ₹2000 से ₹2500 प्रति किलो तक बिक रहा है. जानकर हैरानी होगी कि यह घी उस गाय के दूध से बनता है, जो सबसे कम दूध देती है. इस घी के महंगे होने का कारण सिर्फ इसकी गुणवत्ता नहीं, बल्कि इसका ऐतिहासिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है.
गाय की गिर, साहीवाल, थारपारकर या कांकरेज जैसी देसी नस्ल को भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. मध्य प्रदेश और खंडवा में खासतौर पर गिर नस्ल की गाएं हैं. ये गाएं दिनभर में मुश्किल से 3 से 5 लीटर दूध देती हैं, जबकि विदेशी नस्ल की गाएं 15 से 25 लीटर तक दूध देती हैं. फिर भी गिर गाय का दूध और उससे बना घी कई गुना अधिक महंगा होता है.
क्या खास है इस घी में?
देसी गाय का यह घी बिल्कुल पारंपरिक विधि से बनाया जाता है. जिसे “बिलौने की विधि” कहा जाता है. इसमें सबसे पहले दूध से दही जमाया जाता है. फिर दही को मथकर मक्खन निकाला जाता है. उस मक्खन को धीमी आंच पर पकाकर घी बनाया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली होती है, बल्कि दूध की भारी मात्रा भी लगती है. 1 किलो देसी घी बनाने के लिए करीब 25-30 लीटर दूध की जरूरत होती है.
वैज्ञानिक प्रमाण क्या कहते हैं?
देसी गाय के दूध में A2 प्रोटीन पाया जाता है, जो ह्यूमन डाइजेशन के लिए अत्यंत लाभकारी होता है. विदेशी नस्ल की गायों के दूध में A1 प्रोटीन होता है, जो कई बार एलर्जी या पेट से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है. यही वजह है कि A2 प्रोटीन वाले घी की मांग अब विदेशों में भी बढ़ रही है. यह एक्सपोर्ट प्रोडक्ट बनता जा रहा है.