बॉलर लोग बजाओ ताली, पिच पर नजर आई हरियाली, फटा पोस्टर निकला फॉर्मूला

बॉलर लोग बजाओ ताली, पिच पर नजर आई हरियाली, फटा पोस्टर निकला फॉर्मूला


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हेडिंग्ले टेस्ट में भी हमने देखा कि पिच पर घास थी लेकिन मैच के पहले दिन में घास कम हो गई. कल एजबेस्टन की पिच पर थोड़ी घास थी. एक दिन बाद, यह कम हो गई. अगर कल तक यह पूरी तरह खत्म हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा….और पढ़ें

ऐजबेस्टन की पिच की मिली पहली झलक, कहीं बदल ना जाए मैच से पहला इसका रंग ?

बर्मिंघम से राजीव की रिपोर्ट. घूंघट की आड़ से पिछले कई दिनों से दूल्हन का चेहरा देखने की कोशिश कर रहे थे फाइनली फटा पोस्टर और निकल कर सामने आ गई दूल्हन यानि वो पिच जिस पर सीरीज की दूसरा टेस्ट मैच खेला जाएगा. लीड्स की लड़ाई जिस पिच पर भारतीय टीम हारी उसके बारे में बोला तो बहुत गया पर सही मायनों में देखा जाए तो इंग्लैंड ऐसी ही पिच पर खेलना चाहता है जो सपाट और सीधी चले पर सवाल बड़ा ये है कि ऐजबेस्टन में 22 गज की पट्टी क्या गुल खिलाती है.

पहली नजर में हेडिंग्ले की पिच से अलग, एजबेस्टन की सतह पर थोड़ी घास दिखाई दे रही है. भारत बनाम इंग्लैंड दूसरे टेस्ट की पूर्व संध्या पर ये तस्वीर बताती हैं कि बर्मिंघम लीड्स की तुलना में थोड़ा ज़्यादा जीवंत हो सकता है. थोड़ी घास का मतलब यह हो सकता है कि तेज़ गेंदबाज़ ज़्यादा खेल रहे हैं, ख़ास तौर पर पहले कुछ दिनों के लिए. हेडिंग्ले में ऐसा नहीं था, जहाँ टीम इंडिया ने पहले दिन सिर्फ़ 3 विकेट गिरे और 359 रन बनाए. जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा, पिच ने गेंदबाज़ों की मदद की पर ऐसा वास्तव में नहीं हुआ. स्पिनरों को थोड़ी मदद मिली, लेकिन ज़्यादातर समय, पूरे मैच में बल्लेबाज़ों के लिए यह आसान रहा.

बॉलर लोग बजाओ ताली, पिच पर दिखी हरियाली 

ऐजबेस्टन पिच की पहली झलक से भारतीय खेमे को खुशी होनी चाहिए. पर ये घास मैच शुरु होने पहले रह पाएगी ये बड़ा सवाल है क्योंकि हेडिंग्ले टेस्ट में भी हमने देखा कि पिच पर घास थी लेकिन मैच में घास कम हो गई. कल एजबेस्टन की पिच पर थोड़ी घास थी. एक दिन बाद, वो भी अब कम हो गई. अगर कल तक यह पूरी तरह खत्म हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. अब तक, हर कोई जानता है कि इंग्लैंड किस तरह की पिच पर खेलना चाहता है. उनके पास बहुत अधिक सीम मूवमेंट नहीं है. पर्याप्त उछाल वाली पिच, जो बल्लेबाजों की मदद करती है, उनकी इच्छा है. जितना कम टूट-फूट होगी, उनके लिए उतना ही बेहतर होगा. हेडिंग्ले की पिच खराब नहीं हुई और यही वजह है कि उन्होंने 371 रन का पीछा किया. यह उनकी सफलता का खाका है अब इससे अलग होने का कोई मतलब नहीं है टीम इंडिया अब थोड़ी घास देखने के लिए उत्साहित नहीं होगी, लेकिन अगर कल भी घास होगी, तो शायद वे इसका पूरा फायदा उठा सकें.

ऐजबेस्टन में तेज गेंदबाज 

1986 में चेतन शर्मा ने इस मैदान पर 10 विकेट हासिल किए थे हलांकि वो टेस्ट मैच ड्रा रहा. इसके अलावा ईशांत शर्मा और कपिल देव को भी यहां पर सफलता मिली है पर क्या बदले हुए पिच के मिजाज ने गेंदबाजों के लिए कुछ छोड़ा है ये हमेशा से बर्मिंघम में बड़ा सवाल रहा है. हलांकि ऐजबेस्टन का ट्रेडिशन यहीं कहता है कि शुरुआती मदद तेज गेंदबाजों को: एजबेस्टन की पिच शुरुआत में तेज गेंदबाजों के लिए मददगार साबित होगी. ड्यूक्स गेंद हवा में स्विंग और सीम ले सकती है, जिससे बल्लेबाजों को शुरुआती ओवरों में परेशानी हो सकती है.  खासकर अगर आसमान में बादल छाए रहते हैं, तो तेज गेंदबाजों को और भी फायदा मिलेगा. टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों के लिए तेज गेंदबाजों के सीम मूवमेंट को संभालना मुश्किल हो सकता है, जिससे शुरुआती विकेट जल्दी गिरने की संभावना हमेशा बनी रहती है.

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