कुनो नेशनल पार्क में मानसून की दस्तक के साथ ही वन विभाग ने चीतों की सुरक्षा के लिए उपाय करने शुरू कर दिए हैं। बारिश के मौसम में टिक से होने वाले संक्रमण से पिछले साल तीन चीतों की मौत हुई थी। इस बार 22 चीतों को ब्रेवेक्टो स्पॉट-ऑन दवा दी जा चुकी है।
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वर्तमान में कुनो में कुल 27 चीते हैं। इनमें से 16 जंगल में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं और 11 चीते सॉफ्ट रिलीज बोमा में हैं। पांच शावक 6 महीने से कम उम्र के होने के कारण उन्हें इस उपचार से बाहर रखा गया है।
चार शावकों का सफल ऑपरेशन पूरा
17 जून को मुरैना जिले के जोरा क्षेत्र में गामिनी और उसके चार शावकों का सफल ऑपरेशन किया गया। टीम ने चार घंटे में सभी को टिक रोधी दवा दी। अगले दिन आशा के तीन नर शावकों का भी सफल इलाज किया गया। यह पहला मौका था जब जंगल में तीन जंगली चीतों को एक साथ शांत कर उपचार दिया गया।
8 चीतों का ब्रेवेक्टो का इलाज हुआ
इसके अलावा, दो मादा चीता वीरा और निरवा को भी उनके छोटे शावकों के साथ उपचार दिया गया। कुनो की टीम ने छह पशु डॉक्टर्स की मदद से यह ऑपरेशन पूरा किया। डॉ. जाटव, डॉ. ओंकार, डॉ. आकाश, डॉ. राजेश मीणा, डॉ. सौरभ शर्मा और डॉ. विवेक चौहान ने मिलकर कुल 8 जंगली चीतों को सफलतापूर्वक ब्रेवेक्टो का इलाज दिया।
टिक संक्रमण क्या है?
टिक संक्रमण तब होता है जब टिक चीतों की त्वचा में चिपक जाते हैं और उनके खून से पोषण प्राप्त करते हैं। इस प्रक्रिया में, टिक अक्सर बैक्टीरिया, वायरस या प्रोटोजोआ जैसे रोगजनकों को जानवर के शरीर में पहुंचा देते हैं।