मौसी से अलग हो गए थे शावक, जब मिले तो…झलक पाने के लिए उतावले हुए लोग, देखें photos

मौसी से अलग हो गए थे शावक, जब मिले तो…झलक पाने के लिए उतावले हुए लोग, देखें photos


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Tigress T28 Photos: रीवा से एक दिल छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां मौसी नाम से जानी जाने वाली बाघिन अपने शावकों से दुबारा मिली. मिलन का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

मौसी बाघिन की कहानी है खास<br />साल 2022 में T28 की बहन T18 की एक ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गई थी. इसके बाद T28 ने उसके तीन अनाथ शावकों को गोद ले लिया था. पहले से ही अपने तीन शावकों की मां T28 के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन उसने ममता और साहस के साथ सभी छह शावकों की परवरिश की, न केवल उन्हें जीवित रखा, बल्कि जंगल में जीने की कला भी सिखाई.

मौसी बाघिन का दिल छू लेने का दृश्य.

रीवा संभाग में एक बार फिर प्रकृति का एक अनोखा और दिल को छू लेने वाला दृश्य सामने आया है. कुछ दिन पहले, बाघिन T28 जिसे ‘मौसी’ के नाम से जाना जाता है, अपने चार शावकों से दोबारा मिल गई. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

फिर मिली मौसी बाघिन अपने शावकों से.

करीब दो महीने पहले, बड़े होने के बाद ये शावक अपनी मां T28 ‘मौसी’ से अलग हो गए थे. अब दोबारा उनकी मुलाकात ने सभी का दिल जीत लिया है. वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि सभी शावक मौसी मां के साथ अटखेलियां कर रहे हैं और वह भी उन्हें स्नेहपूर्वक प्यार जता रही है.

बेहद खास है मौसी बाघिन.

मध्य प्रदेश रीवा संभाग के सीधी जिलें के संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में जहां बाघों का कुनवा बढ़ा रहा है, वहीं इस पार्क में छोटी बड़ी सहित तमाम समस्याओं की भी अंबार है. रेलवे ट्रैक जहां वन्य जीव प्राणियों के लिए खतरा बना है वहीं विस्थापन टाइगर रिजर्व के लिए सिर दर्द बना हुआ है. यहां मौसी के नाम से जानी जाने बाली बाघिन का बढ़ रहे बाघों के कुनबे के पीछे बड़ा योगदान है.

कुनबा बढा रही मौसी.

इस पार्क में पिछले कई सालों से बाघों का कुनबा बढ़ रहा है बल्कि देश-विदेश सहित अन्य प्रदेशों और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.

पर्यटकों की निगाह सिर्फ मौसी पर.

इस पार्क में पर्यटकों को आकर्षण करने वाली बाघिन T 28 है, जो अपने कजिन के मौत के बाद अपने 3 शावकों के साथ कजिन के भी 4 शावकों को पाला है. वह भी एक-दो दिन नहीं बल्कि डेढ़ साल लगातार जब सभी शावक शिकार करने के लिए सक्षम हो गए तब मौसी के नाम से जानी जाने बाघिन ने सभी शावकों को अकेले शिकार के लिए छोड़ा. यह बाघिन इस टाइगर रिजर्व की आईकॉनिक टाइगर्स है, जिसने अभी हाल ही में नन्हे शावकों को जन्म दिया है.

नए टाइगर रिजर्व में मौसी बाघिन का राज.

रीवा संभाग के सीधी जिले का संजय टाइगर रिजर्व तुलनात्मक रूप से एक नया टाइगर रिजर्व है, लेकिन पिछले 5 सालों में लगातार यहां बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. वही इस पार्क में छोटी बड़ी सहित तमाम समस्याओं का अंबर है. यह एक ऐसा पार्क है जिसके बीचो-बीच कटनी सिंगरौली रेलवे लाइन गुजरी हुई है. वहीं 40 से अधिक गांव का विस्थापन होना है, जो बेहतर मुआवजा राशि नहीं मिलना और राजस्व विभाग की हीला हवाली के चलते अधर में लटका हुआ है.

नन्हे शावक के साथ दिखती है मौसी.

यह बाघिन इस टाइगर रिजर्व की आइकॉनिक टाइगर्स है, जिसने अपने कजिन बाघिन के मौत के बाद उसके 4 शावकों को पाला, जबकि उसके 3 शावक पहले ही थे. इसके बाद भी अपने शावकों के साथ ही कजिन बाघिन के शावकों को पाल कर इस रिजर्व की आइकोनिक बाघिन बन गाई है. उसने हाल ही में 4 नन्हे शावकों को जन्म दिया है. मौसी अक्सर अपने नन्हें शावकों के साथ देखी जा रही है.

मौसी बाघिन के संरक्षण में शिकार करते हैं उसके शावक.

वन विभाग ने बताया संरक्षण की सफलता<br />वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह पुनर्मिलन संजय टाइगर रिजर्व में संरक्षण के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है.T28 और उसके शावकों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही थी. यह वीडियो न केवल T28 की ममता को उजागर करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि बाघ जैसे क्षेत्रीय प्राणी भी पारिवारिक बंधन को महत्व देते हैं.

मौसी की एक झलक की ललक.

संजय टाइगर रिजर्व में अगर आने के बाद पर्यटक मौसी बाघिन को नहीं देख पाते तो उसे देखने के लिए इंतजार करते हैं. यही कारण है कि लगातार इस टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की भीड़ बढ़ रही है. वह के मुताबिक यह टूरिज्म के लिए अच्छी खबर है. लोगों का प्रकृति और वन्य जीव की ओर आकर्षण का भी एक संदेश है.

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