इंदौर की हेलन केलर: देख-सुन-बोल नहीं सकती, अब कामयाबी गूंजेगी, देश की पहली बेटी, जिसने तीन शारीरिक बाधाओं के बावजूद सरकारी नौकरी पाई – Indore News

इंदौर की हेलन केलर:  देख-सुन-बोल नहीं सकती, अब कामयाबी गूंजेगी, देश की पहली बेटी, जिसने तीन शारीरिक बाधाओं के बावजूद सरकारी नौकरी पाई – Indore News


अगर कोई देख नहीं सकता, सुनने में अक्षम है और बोल भी नहीं पाता तो वह अपनी बात कैसे रखेगा? साइन लैंग्वेज तक उसके काम की नहीं क्योंकि कोई कुछ इशारे भी करेगा तो वह देखेगा कैसे।

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बाहरी दुनिया से संवाद के सारे सेतु ही टूटे हुए हैं तो वह क्या कर पाएगा? और यदि इसके बाद भी कोई हिम्मत न हारे, बुलंद हौसलों से 12वीं पास करे और सरकारी नौकरी भी हासिल कर ले तो उसे करिश्मा नहीं तो और क्या कहेंगे?

इंदौर की एक बेटी गुरदीप कौर वासु ने यही कर दिखाया है। वह देश की पहली बेटी बन गई हैं, जिसने इतनी शारीरिक बाधाओं के बावजूद सरकारी नौकरी हासिल की है। अन्नपूर्णा क्षेत्र में रहने वाली 34 वर्षीय गुरदीप को बहुविकलांगता की श्रेणी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर इंदौर में वाणिज्यिक कर विभाग में पदस्थ किया गया है। विभाग की अतिरिक्त आयुक्त सपना सोलंकी ने बताया कि वे नियमित रूप से कार्यालय जाती हैं और अपना कार्य पूरी निष्ठा से करती हैं।

गुरदीप टेक्टाइल साइन लैंग्वेज से संवाद करती हैं। वे सामने वाले के हाथों और उंगलियों को छूकर अपनी बात पहुंचाती हैं। उनके माता-पिता प्रीतपाल सिंह वासु और मनजीत कौर कहते हैं, गुरदीप का जन्म समय से पूर्व हो गया था। दो माह तक अस्पताल में रखना पड़ा। वह पांच माह की होने के बाद भी किसी बात पर रिएक्ट नहीं करती थी। तब समझ आया कि वह देखने के साथ ही बोल और सुन भी नहीं पाती है।

परीक्षा में मूक बधिर राइटर के लिए लड़नी पड़ी कानूनी जंग : गुरदीप ने पूरी पढ़ाई (12वीं तक) स्पर्श लिपि में की है। हाल में 52% से ज्यादा अंकों के साथ आर्ट्स में 12वीं पास की है। इंदौर की ही आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित ने स्पर्श लिपि में 10वीं और 12वीं का सिलेबस तैयार किया है। गुरदीप ने रोज आठ से 10 घंटे अभ्यास कर दोनों परीक्षाएं पास की। पुरोहित ने कानूनी लड़ाई भी लड़ी, ताकि गुरदीप को परीक्षा में मूक-बधिर राइटर मिल सके।

कौन हैं हेलन केलर… अमेरिकी लेखिका, शिक्षिका थीं। वह दृष्टिहीन और बधिर होने के बावजूद विश्व भर में प्रेरणा का स्रोत बनीं। 19 महीने की उम्र में एक बीमारी के कारण वे देखने, सुनने व बोलने की क्षमता खो बैठी थी।



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