सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पर कार्यशाला में नीति आयोग के सीईओ व अन्य
वर्ष 2047 के लिए तैयार प्रदेश की योजना में 22 प्रमुख मिशन और 300 से ज्यादा एक्शन पॉइंट्स शामिल हैं, जिनमें से 200 से अधिक लक्ष्यों को आगामी पांच वर्षों में पूरा किया जा सकता है। पंचायत स्तर पर 22 हजार 519 ग्राम पंचायतों को 9 विषयों पर सस्टेनेबल डेवलप
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यह जानकारी मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ऋषि गर्ग ने देते हुए कहा है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और आमजन की साझेदारी जरूरी है।
प्राइवेट सेक्टर एंगेजमेंट इन एसीलेरेटिंग एसडीजी इंप्लीमेंटशन इन मध्यप्रदेश विषय पर गुरुवार को भोपाल में कार्यशाला मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग और जीआईजेड इंडिया के जाइंट वेंचर में हुई। यह कार्यशाला इंडो-जर्मन ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप (जीएसडीपी) परियोजना के अंतर्गत की गई जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एडीजीएस) को स्थानीय स्तर पर तेज़ी से लागू करना, निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी तय करना और राज्य की विकास योजनाओं को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से जोड़ना था।
वैश्विक एसडीजी चिंताजनक
जीआईजेड इंडिया की परियोजना प्रमुख हेनरीके पाईशर्ट ने इंडो-जर्मन सहयोग की जानकारी देते हुए बताया कि जीआईजेड राज्य सरकार को योजना निर्माण, क्षमता संवर्धन, सहभागिता और निगरानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है। उद्घाटन सत्र में यूएनडीपी की रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव एंजेला लुसीगी ने वैश्विक एसडीजी प्रगति की स्थिति पर चिंता जताते हुए बताया कि वर्तमान में मात्र 12% लक्ष्य ही ट्रैक पर हैं। उन्होंने भारत और विशेष रूप से मध्यप्रदेश की प्रशंसा की जहां गरीबी उन्मूलन, स्वच्छ ऊर्जा और जल सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रगति हुई है।
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एमपीएसआरएलएम) की सीईओ हर्षिका सिंह ने ‘लखपति दीदी’ योजना सहित अन्य नवाचारों की जानकारी दी जो निजी क्षेत्र के साथ संभावित सहयोग के नए अवसर खोलते हैं, विशेषकर जलवायु-अनुरूप कृषि, वेस्ट मैनेजमेंट और कार्बन क्रेडिट जैसे क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि हासिल की है।
राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क पर चर्चा
नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार राजीब कुमार सेन ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स, बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमडीपीआई), और राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क पर जानकारी दी। राज्य पर केंद्रित सत्र में ऋषि गर्ग ने बताया कि ‘विकसित मध्यप्रदेश @2047’ के अंतर्गत राज्य की योजना में 22 प्रमुख मिशन और 300 से ज्यादा एक्शन पॉइंट्स शामिल हैं जिनमें से 200 से अधिक लक्ष्यों को आगामी पांच वर्षों में पूरा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि पंचायत स्तर पर 22 हजार 519 ग्राम पंचायतों को 9 विषयों पर प्रशिक्षित किया गया है।
तकनीकी सत्र में आईआईटी इंदौर के प्रो. मनीष गोयल ने एनडीवीआई आधारित भूमि क्षरण और सूखा जोखिम का अध्ययन पेश किया। डॉ. आशीष देसाई (एसपी जैन, मुंबई) ने “प्रॉफिट टू पर्पज” विषय पर निजी क्षेत्र की भूमिका बताई और एचयूएल के शक्ति एएमएमए कार्यक्रम, ईएसजी निवेश और वसुधैव कुटुंबकम् की प्रशंसा की।
प्रिंसिपल आर्किटेक्ट दिवाकर किशोर ने डिजिटल तकनीक, डेटा और विविधता के संयोजन से 70% एसडीजी लक्ष्यों की पूर्ति की संभावना जताई। प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने भूमि क्षरण, निजी निवेश, विज्ञान और सीएसआर फंडिंग पर प्रश्न पूछे।
पैनल डिस्कशन भी हुआ
पैनल चर्चा का संचालन हेनरीके पाईशर्ट ने किया। इस चर्चा में ओडिशा, इंडो-जर्मन चेम्बर ऑफ कॉमर्स, यूएनडीपी और एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने वित्तीय नवाचार, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, ग्रीन स्किलिंग और जोखिम न्यूनीकरण जैसे विषयों पर व्यावहारिक सुझाव साझा किए।
अंतिम सत्र सर्वश्रेष्ठ प्रथाएँ और अनुभव में मेघालय, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों में एसडीजी स्थानीयकरण की चुनौतियों और नवाचारों को साझा किया। जर्मन काउंसिल फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की अन्ना लोटा नागेल ने स्थानीय सतत विकास रिपोर्टिंग पर अपने अनुभव साझा किए।