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Agriculture News: सतना में मानसून के साथ धान की फसलों में इस वायरस का खतरा बढ़ गया है. विशेषज्ञों ने कुछ उपायों के बारे में बताया है, जिससे फसलों को राहत मिल जाएगी.
हाइलाइट्स
- धान की फसल में घुसा अदृश्य दुश्मन
- हरा नीला कीड़ा फैला रहा वायरस
- किसानों के लिए अलर्ट जारी
कीड़ों से फैल सकता है टुंग्रू वायरस
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हरा नीला कीड़ा टुंग्रू वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार होता है जो फसल को पूरी तरह बर्बाद कर सकता है. इस वायरस से संक्रमित पौधे पूरी तरह सूख जाते हैं और खेत की उपज शून्य के बराबर हो सकती है. इसलिए किसानों को समय रहते एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) अपनाने की सलाह दे जाती है.
बचाव के लिए टिकाऊ धान किस्में जैसे सीआरए धान 1001, पूसा बासमती 1121, सीआर धान 310, मोगरा और दुबराज का चयन किया जा सकता है. बुवाई से पहले बीजों को इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशी से उपचारित करना आवश्यक है. खेतों में जल जमाव न होने दें क्योंकि नमी की स्थिति कीट प्रकोप को और बढ़ा देती है.
जैविक और रासायनिक नियंत्रण के उपाय
जैविक नियंत्रण के तहत नीम का तेल और ट्राइकोग्रामा परजीवी प्रभावी साबित हो सकते हैं. रासायनिक नियंत्रण में विशेषज्ञों की सलाह पर डायमेथोएट या फिप्रोनिल का सीमित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए. साथ ही अत्यधिक रसायन के प्रयोग से बचना जरूरी है, क्योंकि इससे मिट्टी और फसल दोनों को नुकसान पहुंच सकता है.
कृषि विभाग ने यह भी कहा है कि जो किसान अपने खेतों में जरूरत से ज्यादा यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे ऐसा न करें. नत्रजनधारी उर्वरकों का उपयोग केवल मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें, जिससे कवकजन्य बीमारियों और रस चूसने वाले कीड़ों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकें.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें
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