मध्य प्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात एक ऐसे केस की जिसका फैसला सुनाते हुए कोर्ट को टिप्पणी करना पड़ी कि यदि कोई मामला है जिसके लिए मौत की सजा दी जानी चाहिए तो ये उसी तरह का है। हिंसक जानवरों में भी छोटे बच्चों के प्रति ममता देखी जा सकती है लेकिन न
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इसके लिए हजार बार मृत्युदंड भी छोटी सजा है। इस अपराधी को जितना हो सके उतना क्रूर और निर्मम दंड दिया जाना ठीक रहेगा। ताकि कोई दूसरा ऐसा अपराध करने से पहले सौ बार सोचे। मामला एक पांच साल की मासूम के कत्ल से जुड़ा था, आखिर क्या था इस मामले में जब जज को इतनी तल्ख टिप्पणी करनी पड़ी और कातिल कौन था…
पढ़िए ये रिपोर्ट-
तारीख 24 सितंबर 2024। समय दोपहर 12 बजे। शाहजहांनाबाद इलाके में एक 5 साल की मासूम बच्ची अपनी दादी के साथ बड़े पापा के फ्लैट पर थी। बच्ची जिस मल्टी में रहती थी, उसके दूसरे तल पर उसके बड़े पापा का फ्लैट था। इस बीच बच्ची दोपहर में स्कूल की किताबें लेने गई। संयोग से उसी समय नगर निगम की टीम भी वहां फॉगिंग करने पहुंच गई।
जब काफी देर बाद भी पोती नहीं लौटी तो दादी नीचे वाले फ्लैट पर गई। फ्लैट पर ताला लगा था। दादी ने आसपास बच्ची को तलाशा।
पड़ोसियों से पूछा, मगर बच्ची का कोई सुराग नहीं मिला। बच्ची के लापता होने की खबर मल्टी में रहने वालों को मिली तो उन्होंने भी टीम बनाकर उसकी तलाश की। न तो दरवाजा टूटा था, न ही कोई संघर्ष के निशान थे। बच्ची के गायब होने की सूचना पर माता-पिता भी घर लौट आए थे।
मां ने पुलिस को बताया कि वह सुबह 10.30 बजे बेटी को आंगनवाड़ी छोड़ने गई और उसके बाद वह काम करने चली गई। बेटी को वह रोज आंगनवाड़ी छोड़ने जाती थी और सास बच्ची को लेने जाती थी। सास उसके और बड़े जेठ दोनों के यहां रहती थी। सास आंगनवाड़ी से बच्ची को लेकर आ गई थी। जब वह घर आई तो उसने देखा कि उसकी बेटी घर पर नहीं है।
सास से पूछा तो बताया कि वह किताब लेने गई है। मगर थोड़े समय बाद भी जब बच्ची वापस नहीं लौटी तो उसे आसपास ढूंढा, लेकिन बेटी नहीं मिली। पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर बच्ची की गुमशुदगी दर्ज कर ली। पिता ने पुलिस को बताया कि बेटी की जन्म की तारीख 5 सितंबर 2019 है। वो 5 साल की है। उसका एडमिशन नहीं हुआ था। वह आंगनवाड़ी में जाती थी।
36 घंटे का सस्पेंस: पुलिस फोर्स एक मासूम की तलाश में झोंक दी
पुलिस के लिए ये मामला आम गुमशुदगी जैसा नहीं था, क्योंकि यह एक मासूम से जुड़ा था… और मल्टी से बाहर जाने का कोई सुराग नहीं था। जैसे-जैसे घंटे बीतते गए, तनाव भी बढ़ता गया। आखिरकार, पुलिस कमिश्नर ने खुद कमान संभाली और पांच थानों की फोर्स को एक्टिव कर दिया। 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी एक ही मिशन पर जुट गए। मासूम को हर हाल में ढूंढ निकालना।

पुलिस टीम ने आसपास के इलाके में सर्चिंग की।
पुलिस टीम ने मल्टी के एक-एक फ्लैट की तलाशी ली। कहीं बच्ची किसी बेसमेंट में तो नहीं छुपा दी गई? कहीं किसी बंद कमरे में तो नहीं कैद कर दी गई? इसी बीच पास के नाले और तालाबों तक की तलाशी करवाई गई। हर जगह झांक कर देखा गया, जहां एक बच्चा छुपाया जा सकता था।
सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। गेट, पार्किंग, लिफ्ट, सीढ़ियां, पीछे का दरवाजा, लेकिन मासूम का बाहर निकलते हुए एक भी फुटेज नहीं मिला। सवाल और भी डरावना हो गया था। अगर वो बाहर नहीं गई तो फिर गई कहां?
पुलिस की नजर अब मल्टी में उसी समय आई नगर निगम की फॉगिंग टीम पर गई। क्या कोई फॉगिंग के बहाने अंदर आया और मासूम को…? पुलिस ने पूरी टीम को हिरासत में ले लिया। कई राउंड की पूछताछ हुई, मोबाइल खंगाले गए, लेकिन नतीजा शून्य था।

36 घंटे बीत चुके थे, बच्ची का कोई सुराग नहीं था। सबकुछ जैसे एक अंधेरे सुरंग में बदल चुका था। जहां हर दरवाजा बंद और हर संदेह बेकार साबित हो रहा था। मगर पुलिस को यकीन था, जवाब कहीं यहीं छिपा है… उसी मल्टी के भीतर।
बरामदे से आने लगी बदबू
26 सितंबर 2024 को बच्ची का परिवार जिस फ्लैट में रहता था उसके पास स्थित बरामदे से तेज बदबू आने लगी। पड़ोस के फ्लैट वाले लोगों ने अपने-अपने घर में तलाशी ली, मगर पता नहीं चला कि बदबू कहां से आ रही है। सभी लोग ढूंढने लगे तो खुलासा हुआ कि बदबू फ्लैट एफ-2 से आ रही है।
बच्ची के बड़े पापा और आसपास के फ्लैट वालों ने जब इस बारे में एफ-2 में रहने वाली चंचल और बसंती से पूछा तो वो कहने लगी कि बदबू हमारे घर से आ रही है। चूहा मरा हुआ है। बताया कि बदबू छिपाने के लिए उन्होंने फिनाइल से पोंछा भी लगाया है। बदबू तेज आने पर पुलिस को फोन किया गया।
जब पुलिस ने खोला फ्लैट एफ-2 का राज, महिलाओं ने की धक्का-मुक्की
तलाश की घड़ी खिंचती जा रही थी। 36 घंटे बीत चुके थे, और मासूम बच्ची का अब तक कोई सुराग नहीं मिला था। मगर तभी, 26 सितंबर की दोपहर एक फ्लैट से आ रही रहस्यमयी बदबू ने पूरे केस की दिशा बदल दी।
सूचना पर शाहजहानाबाद थाने की उपनिरीक्षक योगिता जैन अपनी टीम के साथ मल्टी में जांच के लिए पहुंची। बच्ची की तलाश अब एक-एक फ्लैट तक पहुंच चुकी थी। उसी दौरान पुलिस फ्लैट एफ-2 के बाहर पहुंची। पुलिस को भी वहां एक अजीब सी गंध महसूस हुई जो किसी अनहोनी की आहट दे रही थी।

जब पुलिस ने भीतर जाने की कोशिश की तो उन्होंने धक्का-मुक्की की और जोरदार बहस शुरू कर दी। संदेह और भी गहरा गया।
प्लास्टिक की टंकी में मिला शव, टंकी सहित अस्पताल भेजा
महिला पुलिसकर्मियों ने दोनों को हटाया और जबरन फ्लैट में घुसीं। फ्लैट में सामान्य सी दिखने वाली चीजों के बीच बाथरूम के बाहर, ऊपर की तरफ बने एक रैक पर नजर पड़ी। वहां एक सफेद प्लास्टिक की टंकी रखी थी, कपड़े से ढंकी हुई और कुछ ज्यादा ही भारी। बदबू वहीं से आ रही थी।
पुलिसकर्मी टंकी को नीचे उतारने लगे। कपड़ा हटाया गया। जैसे ही ढक्कन खोला गया, पुलिस सन्न रह गई। टंकी के अंदर एक पोटली थी और उस पोटली में मासूम बच्ची की लाश।
फ्लैट के सन्नाटे में कुछ पल को सांसें थम सी गईं। बच्ची की पहचान उसके पिता और बड़े पापा ने की।

बच्ची की मौत से ज्यादा डरावना था उसका छिपाया जाना। सवाल अब ये नहीं था कि वो कहां गई थी, सवाल अब था किसने और क्यों ये सब किया था।?
फ्लैट के सीन ऑफ क्राइम ने खोली गुत्थी
मासूम बच्ची की लाश मिलने के बाद पुलिस ने फ्लैट एफ-2 को पूरी तरह सील कर दिया। अब बारी थी हर उस सुराग को खंगालने की, जो सच के करीब ले जा सकता था। सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट की टीम जिसमें बृजेंद्र सिंह शामिल थे, मौके पर पहुंची और फ्लैट की एक-एक चीज को परत-दर-परत खोलना शुरू किया।
जैसे ही टीम फ्लैट के पहले कमरे में दाखिल हुई, सामने एक लोहे का पलंग रखा हुआ मिला। पलंग के नीचे चटाई के साथ बिस्तर था। कुछ ऐसा जैसे किसी ने जल्दी में सब समेट दिया हो, लेकिन असली सुराग वहीं छिपा था। एक तकिया, जो आधा बाहर की ओर निकला हुआ था। तकिए पर सफेद और काले धब्बों के बीच जो लाल रंग था, वो किसी और चीज का नहीं, खून के निशान जैसा लग रहा था। पुलिस को अब यकीन होने लगा था कि हत्या यहीं पर हुई थी।

तीनों से एक तेज बदबू आ रही थी। यह वही गंध थी जो फ्लैट के दरवाजे से आती थी और बच्ची की लाश की ओर इशारा करती थी। बृजेंद्र सिंह ने इन सभी चीजों को जब्त किया। शुरुआती जांच ने ये संकेत दिए कि तकिया हत्या के समय इस्तेमाल किया गया और ये भी संभव है कि इससे मासूम का मुंह दबाया गया हो। टेबल पर रखी साड़ी, शॉल और चादर, जिन्हें देख कर लग रहा था कि ये जल्दी में लपेटी गई हों। इनका इस्तेमाल टंकी को ढंकने के लिए किया गया होगा, ताकि लाश की बदबू बाहर न आ सके। मगर फिर भी वो दुर्गंध रुक नहीं सकी।
क्राइम फाइल्स पार्ट 2 में पढ़िए इन सवालों के जवाब
– अब पुलिस के पास सबूत थे मगर सवाल जस का तस था:- क्या यह हत्या योजनाबद्ध थी?
– या फिर किसी और डरावनी मंशा का हिस्सा?
– बच्ची को किसने मारा और क्यों?
– आरोपी महिलाओं ने अपना जुर्म कबूला या किसी बड़े राज की परत खुलने वाली थी?