ठेकेदार को 7 लेयर में करना था काम, एक साथ बनाई सड़क इसलिए धंसी – Gwalior News

ठेकेदार को 7 लेयर में करना था काम, एक साथ बनाई सड़क इसलिए धंसी – Gwalior News



देशभर में ग्वालियर को बदनाम करने वाली चेतकपुरी रोड की तकनीकी जांच पूरी हो गई है। जांच में खुलासा हुआ है कि सड़क निर्माण में शुरू से लेकर अंत तक ठेकेदार कंपनियों की मनमानी चलती रही है। अर्थ वर्क (नीचे गहराई से होने वाला काम) के दौरान मिट्टी, मुरम आदि

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हर स्तर पर ठेकेदारों ने सड़क को इतना कमजोर बनाया कि पहली ही बारिश के साथ इसका धंसकना शुरू हो गया, जो अब तक जारी है। कलेक्टर रुचिका चौहान द्वारा बनाई तकनीकी कमेटी के सदस्य लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री देवेंद्र भदौरिया और पीएमजीएसवाई के महाप्रबंधक एमआई कुर्रेशी ने मंगलवार को जांच रिपोर्ट सौंप दी। जांच में निष्कर्ष है कि उक्त सड़क ट्रैफिक लोड की अपेक्षा काफी कमजोर है। इसे अर्थ वर्क के साथ फिर नहीं बनाया तो ये ऐसे ही

2 कमियां, जिनसे मिली बदनामी… मटेरियल फिलिंग सही नहीं, डामर भी कम लगाया गया

ये करना था: ठेकेदार कंपनी जैन एंड राय ने स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज पाइप डाले। पाइप डालने के बाद कंपनी को मिट्टी-मुरम आदि से फिलिंग कर मजबूत अर्थ वर्क करना था। इससे रोड का बेस मजबूत हो। कंपनी को करीब 2 मीटर गहराई के इस भाग में 7 लेयर में फिलिंग करनी थी। हर लेयर पर वाइब्रेटर रोलर से उसका कॉम्पेक्शन होना था। {ये किया: कंपनी ने पाइप डालने के बाद एक साथ खुदे भाग की फिलिंग कर दी। इस पर वाइब्रेटर रोलिंग की जगह साधारण रोलर चलाया। इससे पाइप के आसपास और ऊपर हुई फिलिंग लूज रह गई। बारिश और रोड पर ट्रैफिक लोड बढ़ने से धंसकने लगी।

क्या करना था: सड़क पर डामरीकरण का काम करने वाली फर्म एचएनएस कॉन्ट्रैक्टर्स डेवलपर्स को डामरीकरण से पहले बेस की मजबूत चेक नहीं की। कंपनी को इस रोड पर 4 सेंटीमीटर की डामर लेयर बिछानी थी, जिसमें अलग-अलग लेयर होती हैं। {ये किया: अनुबंध शर्तों को ठेंगा दिखाते हुए कंपनी ने कहीं 2.5 तो कहीं 3 सेंटीमीटर की डामर लेयर डालकर डामरीकरण शुरू कर दिया। इससे सड़क का ऊपरी भाग कमजोर रह गया। जांच में ये पाया कि कमजोर बेस की जानकारी मिलने के बाद काम जारी रखा। निगम को दिखावे के लिए पत्र लिखे।

जांच रिपोर्ट में फिलिंग और डामर दोनों की कमी मिली, आयुक्त को भेजेंगे रिपोर्ट ^चेतकपुरी सड़क को लेकर जो कमेटी बनाई गई थी, उसने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। जिसमें फिलिंग और डामर दोनों की कमी सामने आई है। आगे की कार्यवाही के लिए ये रिपोर्ट नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त के पास भेजी जा रही है और जरुरी कार्यवाही की जाएगी। – रुचिका चौहान, कलेक्टर

अफसर करते रहे सबकुछ ओके, अब खुल रही पोल जैन एंड राय और एचएनएस कॉन्ट्रैक्टर्स डेवलपर्स इस सड़क निर्माण के काम में शुरू से अंत तक मनमानी करते रहे। वहीं नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी इस मनमानी ओके भी बताते रहे और भुगतान होते रहे। अफसर-ठेकेदारों की मिलीभगत का नतीजा ये निकला कि करोड़ों रुपए की लागत से तैयार हुई ये सड़क कुछ ही महीने में दम तोड़ गई। अब इस सड़क की मेजरमेंट बुक (एमबी) को भी जांच में शामिल किया गया है। जिससे ये पता चल सके कि अधिकारियों ने निर्धारित मानकों को किस प्रकार दर्ज किया है।



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