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लॉर्ड्स टेस्ट मैच के अंतिम दिन भारतीय टीम को कुल 135 रन बनाने थे और उनके पास 6 विकेट थे पर वो मंजिल तक नहीं पहुंच पाए. इस मैच में मिली हार ने 28 साल पहले वेस्टइंडीज में मिली बारबाडोस टेस्ट की याद दिला दी जिसम…और पढ़ें
2025में शुभमन की लॉर्ड्स की हार क्या 1997 में सचिन के बारबाडोस में मिली हार से बड़ी है ?
1997 में सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में भारतीय टीम के सामने 120 रनों का लक्ष्य था पर पूरी की पूरी भारतीय टीम उस मैच में 81 रन बनाकर आउट हो गई. उस वक्त टीम में सचिन के अलावा राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, नवजोत सिद्धू जैसे बल्लेबाज थे. सचिन इस हार से इतने नाराज हुए ते कि उन्होंने इस दिन को अपने करियर का सबसे खराब दिन बता दिया था. 2025 में लॉर्ड्स में मिली हार हमें कुछ वैसा ही दर्द दे गई.
इस सीरीज में ये दूसरी बार हुआ जब हम जीता हुआ मैच इंग्लैड को गिफ्ट कर गए. लीड्स में अंतिम दिन 350 रन हमारे गेंदबाजों ने इंगलैंड को बनाने दिया और लॉर्ड्स में हम अंतिम दिन 135 रन नहीं बना पाए. केएल राहुल, ऋषभ पंत, नितिश रेड्डी और वॉशिंगटन सुंदर जैसे बल्लेबाजों के रहते टीम को नीचे देखना पड़ा. वो तो भला हो रवींद्र जडेजा का जिसकी जुझारु पारी ने मैच को लंबा खीचा नहीं तो भारत मैच के पहले घंटे में ही हार गया था. इस हार ने बल्लेबाजी में अनुभव की कमी को फिर एक्पोज कर दिया. टॉप आर्डर की अस्थिरता टीम के ले डूबी. यशस्वी जायसवाल, करुण नायर के लगातार फेल होने से टीम को मजबूती नहीं मिल पाई नतीजा टीम अब सीरीज में 1-2 से पीछे है. हार जीत तो खेल में होती है पर ये हार बहुत दिनों तक टीम पर असर डालेगी ये बात तो तय है.
ब्रिजटाउन टेस्ट की दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने वेस्टइंडीज को 120 रनों पर ही समेट दिया था. दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा ने 45 रन बनाए थे. भारत के लिए अबे कुरुविला ने पांच और वेंकटेश प्रसाद ने तीन विकेट अपने नाम किए . टीम इंडिया को चौथी पारी में टेस्ट को जीतने के लिए 120 रनों का लक्ष्य मिला था ऐसा लग रहा था कि भारत इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा, लेकिन यह हुआ नहीं. भारतीय टीम चौथी पारी में 81 रनों पर ही सिमट गई. टीम इंडिया के 10 बल्लेबाज तो दहाई के आंकड़े को भी नहीं छू पाए थे. वीवीएस लक्ष्मण ने सर्वाधिक 19 रन बनाए. भारत को टेस्ट में एक शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. वेस्टइंडीज ने 38 रन से मैच को अपने नाम कर लिया . सचिन ने इस हार का जिक्र अपनी किताब में किया है उन्होंने लिखा, ”31 मार्च 1997 का दिन भारत के क्रिकेट इतिहास का काला दिन था. उस हार को लेकर कोई दलील नहीं दी जा सकती. मैं किसी को भी उस हार का जिम्मेदार नहीं मानता. टीम का सदस्य और कप्तान होने के नाते मैं पूरी तरह से जिम्मेदार था. इस हार ने मुझे तोड़ दिया था और मैंने खुद को दो दिनों तक कमरे में बंद कर लिया था.
लॉर्ड्स की हार भी लगभग बारबाडोस जैसी ही है पर शुभमन गिल ना सचिन जैसे इंसान है और ना ही कप्तान ऐसे में इस हार को वो कैसे लेते है ये देखना बहुत दिलचस्प होगा क्योंकि अभी भी सीरीज में दो मैच बचे हुए है.