इंदौर की हेलेन केलर, मिसाल है गुरदीप कौर वासु की कहानी

इंदौर की हेलेन केलर, मिसाल है गुरदीप कौर वासु की कहानी


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Bhopal News: मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली गुरदीप कौर वासु किसी मिसाल से कम नहीं हैं. उन्होंने अपनी मेहनत से सरकारी नौकरी हासिल की है. गुरदीप के परिवार ने भी उनका पूरा सपोर्ट किया.

इंदौर की कुलदीप ने पूरा किया सरकारी नौकरी का सपना.

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश की हेलेन केलर की कहानी
  • मेहनत से पूरा किया सरकारी नौकरी का सपना
  • दूसरों के लिए मिसाल हैं गुरदीप कौर वासु
शिवकांत आचार्य

भोपाल. मध्य प्रदेश के इंदौर की गुरदीप कौर वासु उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो शारीरिक अक्षमताओं के कारण हार मान लेते हैं. वह न बोल, न देख और न सुकती हैं, इसके बावजूद कठिन मेहनत की और वाणिज्यिक कर विभाग में नौकरी हासिल की. गुरदीप कौर वासु अपनी नजरों से देख नहीं सकती, न बोल सकती और न सुन सकती, फिर भी अपनी मेहनत से उन्होंने सरकारी नौकरी हासिल कर दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है. वह ऐसा करने वाली शायद देश की पहली महिला हैं. गुरदीप कौर वासु उन तमाम लोगों के लिए मिसाल है जो थोड़ी सी मुसीबत से घबरा जाते हैं. सुविधाओं के अभाव में अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाते हैं.

गुरदीप कौर मल्टीपल डिसेबल हैं. इसके बाद भी उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उन्होंने 10वीं बोर्ड, 12वीं बोर्ड की परीक्षा पास की. गुरदीप कौर स्पर्श लिपि से चीजों को समझती हैं और उसी से जबाव भी देती हैं. न्यूज18 ने गुरदीप कौर से खास बातचीत की जिनका जबाव गुरदीप ने अपने टीचर की मदद से दिया.

गुरदीप कौर ने पूरा किया अपना सपना

गुरदीप की टीचर बताती हैं कि गुरदीप कौर वासु वह दिव्यांग युवती है जो ना देख सकती है ना सुन सकती है ना बोल सकती है. ऐसे में वह पिछले 8 सालों से लगातार पढ़ाई कर रही थी. जब भी हम गुरदीप से पूछते थे कि उसको क्या करना है तो वह हमें बताती थी कि मुझे ऑफिस जाना है, जॉब करना है. जब हमारा दिव्यांग अधिकार नियम 2016 आया तो उसमें सभी दिव्यांगों के लिए अलग-अलग रिजर्वेशन था, जो बहुत दिव्यांग क्रांतिकारी थी उसमें भी एक परसेंट आरक्षण था. जब हम इसे पढ़ाते थे तो यही सपना दिखाते थे कि तुम्हें नौकरी मिल सकती है और गुरदीप ने यह ड्रीम देखा. उसके लिए पढ़ाई की मेहनत की और उसको अचीव भी किया.

गुरदीप कौर ने बताया कि मां ने मुझे पढ़ाई में मदद की. उन्होंने कहा कि तू सक्सेस होगी, मेहनत कर. एग्जाम के टाइम मुझे बेहद खुशी थी. मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगा. सपना देखती थी कि मुझे कुछ करना है. मेरे ऑफिस में सभी बहुत अच्छे हैं. सब हेल्प करते हैं.

गुरदीप कौर की मां मनजीत कौर वासु कहती हैं कि जब गुरदीप छोटी थी पहले तो लगा क्या करेंगे, लेकिन पूरे परिवार का साथ रहा है. हमने गुरदीप को 12वीं तक पढ़ाया. लगता था हमारे बाद गुरदीप का क्या होगा, किसके भरोसे छोड़ेंगे, आज वह अपने पैरों पर खड़ी हो गई है. अब हमें कोई चिंता नहीं है. मुझे खुशी होती है कि आज हम इसके नाम से जाने जाते है. लोग कहते है यह गुरदीप की मां जा रही हैं, बल्कि मेरी छोटी बेटी को भी गुरदीप की सिस्टर के नाम से जाना जाता है.

भोपाल के भोज विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ.सुशील मंडेरिया कहते हैं कि विश्वविद्यालय का सौभाग्य है कि भारत की पहली दिव्यांग जो ईश्वरी शक्ति को लेकर विश्वविद्यालय आई हैं हम स्वागत करते हैं. हमारा भी एक फ्लैगशिप प्रोगाम है जो दिव्यांग बच्चों के लिए एजुकेटर तैयार करते हैं. इनके साथ हमारे जितने भी बच्चे हैं उनके साथ संवाद किया ,है वह बच्चे भी अपने आप में सीखने को तैयार है और सीखा है. गुरदीप अगर भविष्य में भोज विश्वविद्यालय से किसी माध्यम से यहां शिक्षा लेना चाहती है तो वह निशुल्क रहेगा.

Preeti George

Preeti George is lead content writer at hindi.news18.com having experience of more than 5 years in digital media. After completing her masters from Kushabhau Thakre Journalism university, she worked in various …और पढ़ें

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