विदेशी भाषाओं में कोर्स के बाद शानदार करियर, भारत में खूब डिमांड, जानें सबकुछ

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Sagar News: डॉ हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ विवेक जायसवाल ने लोकल 18 से कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक शिक्षा के अंर्तराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है.

सागर. मध्य प्रदेश की एकमात्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी डॉक्टर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों और बुंदेलखंड के लोगों के लिए अच्छी खबर है. विश्वविद्यालय में स्पेनिश भाषा के प्रोग्राम शुरू होने के बाद अब फ्रांस जर्मन और जापानी भाषा भी पढ़ाई जाएगी. जल्द ही इन देशों के विश्वविद्यालय से अनुबंध होने जा रहे हैं. इसके बाद पाठ्यक्रम तैयार कर संचालित किए जाएंगे. इन भाषाओं में कोर्स कर छात्र अपना शानदार करियर बना सकते हैं. भारत में भी विदेशी भाषाओं के जानकारों की खूब डिमांड हैं.

डॉ हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ विवेक जायसवाल लोकल 18 को बताते हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हिसाब से शिक्षा के अंर्तराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है. अंर्तराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा दिए जाने का मतलब है, कोई भी विश्वविद्यालय अब अपने लिए ऐसी संभावनाएं तलाश सकें, जहां के छात्र विदेश में जाकर भी पढ़ सकें और विदेश के छात्र भारत में आकर पढ़ सकें. इसी को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय कि कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता के मार्गदर्शन में विदेश के कई विश्वविद्यालयों के साथ MOU की कोशिश जारी है. कई सारी यूनिवर्सिटी से MOU हो भी चुके हैं और इसलिए भी यह महत्वपूर्ण है. विदेशी भाषा को जानने के बाद प्रवृत्ति को और भी मजबूत किया जा सकता है. अंतर्राष्ट्रीयकरण को मजबूत किया जा सकता है.

ग्लोबल जॉब्स की चाबी हैं ये विदेशी भाषाएं, जिन्हें सीखकर आप भी बना सकते हैं अपना बेहतरीन करियर!

जैन विश्वविद्यालय से एमओयू
उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय ने सबसे पहले जो स्पेनिश भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाती है, इस भाषा को पढ़ाए जाने के लिए एक जैन विश्वविद्यालय से एमओयू किया है. और भी विश्वविद्यालय से इस तरह के पाठ्यक्रमों को लेकर बातचीत चल रही है. इसके साथ विश्वविद्यालय का जो इंटरनेशनल सेल है उनका लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा विदेशी यूनिवर्सिटीज़ के साथ हम MOU कर सकें. विश्वविद्यालय में फ्रेंच, जर्मन और जापानी भाषा में भी जल्द पढ़ाई शुरू होगी. विद्या परिषद की बैठक में इसपर चर्चा हुई. शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए यह काफी महत्वपूर्ण साबित होगा.

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