Burhanpur Dharohar: एसी कूलर तो छोड़ो एक पंखा तक नहीं यहां, फिर भी हमेशा रहता ठंडा, MP का ये महल टूरिस्ट का फेवरेट

Burhanpur Dharohar: एसी कूलर तो छोड़ो एक पंखा तक नहीं यहां, फिर भी हमेशा रहता ठंडा, MP का ये महल टूरिस्ट का फेवरेट


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Raja Rao Ratan Palace Burhanpur: मध्यप्रदेश पूरे देश में अपने शाही इतिहास के लिए मशहूर है. आइए जानते हैं एमपी में मौजीद एक आलीशान किले के बारे में.

हाइलाइट्स

  • राजा राव रतन का महल 16वीं शताब्दी का है.
  • महल में बिना एसी या कूलर के सालभर ठंडक रहती है.
  • बरसात के दिनों में महल में पर्यटकों की भीड़ रहती है.
मोहन ढाकले/बुरहानपुर. मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां पर आज भी कई पुरातन काल के महल मौजूद है. जिनकी अपनी अपनी कहानी है. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के रेणुका माता मंदिर के पास स्थित रेणुका वन डिपो परिसर में राजा राव रतन का महल 16 वीं शताब्दी का बताया जाता है. इतिहासकार कमरुद्दीन फलक बताते हैं कि इस महल का निर्माण राजा राव रतन ने करवाया था. इसमें दो कमरे हैं, बाहर बरामदा है और ऊपर चढ़ने के लिए अंदर से सीढ़ियां बनी हुई है. ऊपर भी दो कमरों का निर्माण किया गया है और कुछ खुली जगह है. यहां पर बरसात के दिनों में सबसे अधिक पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं. यह महल इतना खूबसूरत है कि लोग यहां पर फोटो वीडियो भी खिंचवाने के लिए पहुंचते हैं. यहां पर जिले के साथ अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि राजा राव रतन को बुरहानपुर का गवर्नर बनाया गया था. इसके बाद से वह यहां पर रहकर कई  युद्ध भी लड़े थे. जिसमें उनको सफलता भी मिली थी.

इतिहासकार ने दी जानकारी 
लोकल 18 की टीम ने जब इतिहासकार कमरुद्दीन फलक से बात की तो उन्होंने बताया कि यह करीब 16 वीं शताब्दी में बना हुआ राजा राव रतन का महल है. इसका निर्माण राजा राव रतन ने करवाया था, राजा राव रतन बुरहानपुर के गवर्नर थे. वह यहीं से कई युद्ध लड़ते थे और उनको युद्ध लड़ने में सफलता भी मिलती थी. आज वह पर्यटक स्थल बन गया है. यहां पर दूर-दूर से पर्यटक इस महल को देखने के लिए आते हैं. इस महल की सबसे अधिक डिमांड बरसात के समय में रहती है. लोग यहां पर घूमने के लिए आते हैं और फोटो वीडियो खींचकर सोशल मीडिया पर भी डालते हैं. जिसके बाद और भी लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.

राव रतन महल की खासियत
इस महल की खासियत है कि नीचे दो कमरे हैं और बड़ा सा बरामदा है. ऊपर चढ़ने के लिए दोनों ओर से सीढ़ियां बनाई गई है और ऊपर भी दो कमरे हैं. और एक बरामदा है. यह महल ऐसा है कि यहां पर 12 महीने ठंड लगती है. यहां पर कोई भी बिजली उपकरण का उपयोग नहीं किया गया है. लेकिन उसके बावजूद भी यह महल ठंडा रहता है गर्मी में भी ठंडक रहती है और ठंड में भी ठंड रहती है. इसलिए यहां पर पर्यटक सबसे अधिक घूमने के लिए आते हैं. इस महल की जो कलाकृति है वह वास्तव में देखने लायक है. इसलिए लोगों को सबसे अधिक पसंद आती है.

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एसी-कूलर क्या, यहां एक पंखा भी नहीं फिर भी रहता कूल, कमाल है MP का ये महल



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