उत्‍तराखंड के स्‍कूलों में रोज पढ़े जाएंगे गीता के श्‍लोक: प्रार्थना सभा में अर्थ के साथ होगा गीतापाठ; 17 हजार स्‍कूलों पर फैसला लागू

उत्‍तराखंड के स्‍कूलों में रोज पढ़े जाएंगे गीता के श्‍लोक:  प्रार्थना सभा में अर्थ के साथ होगा गीतापाठ; 17 हजार स्‍कूलों पर फैसला लागू


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9 मिनट पहले

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उत्‍तराखंड राज्‍य के सभी स्‍कूलों में अब सुबह की प्रार्थना सभा में श्रीमद् भागवत गीता के श्‍लोक पढ़ाए जाएंगे। राज्‍य माध्‍यमिक शिक्षा निदेशक डॉ मुकुल कुमार सती ने इसे लेकर आदेश जारी किया है। आदेश के बाद मंगलवार से ही नियम प्रदेश भर के लगभग 17 हजार सरकारी स्‍कूलों पर लागू हो गया है।

शिक्षा निदेशक डॉ सती ने बताया कि हर दिन स्‍कूल में गीता के श्‍लोकों का केवल उच्‍चारण नहीं होगा, बल्कि उनका अर्थ भी समझाया जाएगा। इसका मकसद स्‍कूली बच्‍चों को प्राचीन भारतीय परंपराओं से अवगत कराना है। इससे बच्‍चों का पर्सनैलिटी डेवलेपमेंट होने के साथ बौद्धिक क्षमता भी बढ़ेगी।

जारी आदेश में लिखा गया है कि हर दिन एक मूल्‍य आधारित श्‍लोक प्रार्थना सभा में बोला जाएगा और सूचना पट पर अर्थ सहित ल‍िखा भी जाएगा। टीचर्स भी समय-समय पर श्‍लोकों की व्‍याख्‍या करते हुए बच्‍चों को सैद्धांतिक जानकारी देंगे।

उत्‍तराखंड के स्‍कूलों में हर दिन होगा गीतापाठ

जारी आदेश के अनुसार-

  1. प्रार्थना सभा में हर दिन बच्‍चों को गीता का कम से कम एक श्‍लोक सुनाया जाएगा
  2. बच्‍चों को श्‍लोक का अर्थ बताया जाएगा और इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जानकारी दी जाएगी।
  3. हर सप्‍ताह एक मूल्‍य आधारित श्‍लोक ‘सप्‍ताह का श्‍लोक’ घोषित किया जाएगा
  4. ‘सप्‍ताह का श्‍लोक’ नोटिस बोर्ड पर अर्थ सहित लिखा जाएगा जिसे बच्‍चे याद करेंगे।
  5. शिक्षक बच्‍चों को बताएंगे कि गीता के उपदेश सांख्‍य, मनोविज्ञान और नैतिक दर्शन पर आधारित हैं।

राज्‍य सरकार तय कर सकती हैं 30 फीसदी पाठ्यक्रम

दरअसल नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में प्राचीन विषयों को शामिल करने का निर्देश है। इसमें 70 फीसदी पाठ्यक्रम केंद्र द्वारा तय किया जाएगा, वहीं 30 फीसदी राज्य तय करेगा। इसी नीति के तहत उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में रामायण और श्रीमद् भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

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