Public Opinion: NCERT की किताब में बदलाव, औरंगजेब को बताया मंदिर तोड़ने वाला

Public Opinion: NCERT की किताब में बदलाव, औरंगजेब को बताया मंदिर तोड़ने वाला


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Public Opinion: भोपाल निवासी आशीष ने लोकल 18 से कहा कि पुराने इतिहास में एकतरफा बातें दिखाई गईं और पढ़ाई गईं. सही मायने में आज की पीढ़ी पुराने इतिहास से अब तक रूबरू नहीं हो पाई है.

भोपाल. NCERT ने कक्षा 8वीं की सोशल साइंस की किताब में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं. इन बदलावों में दिल्ली सल्तनत और मुगल शासनकाल के दौरान धार्मिक असहिष्णुता के विभिन्न उदाहरणों को शामिल किया गया है. संशोधित पाठ में बाबर को एक कठोर और आक्रामक विजेता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जबकि अकबर की छवि को सहिष्णुता और कठोरता दोनों का मिश्रण बताया गया है. लोकल 18 से बात करते हुए बच्चों के परिजनों ने कहा कि हमारे समय में जब इतिहास को लेकर किताबें पढ़ाई जाती थीं, तो उसमें इतिहास को किसी और तरीके से बताया गया. पहले के इतिहास में अकबर को महान बताया गया था.

परिजनों का कहना है कि हजारों मासूमों की हत्या करने वाला अकबर कैसे महान हो सकता है. शुरू से ही भारतीय इतिहास के साथ छेड़छाड़ होते आ रही है. हमें जो पढ़ाया गया, उसमें मुगल शासकों द्वारा किए गए कृत्य आज भी लोगों से अनजान हैं. लोकल 18 से बात करते हुए भोपाल निवासी शिवाजी देशमुख ने कहा कि अपने शासन में बाबर ने कई मंदिरों को तुड़वाया, साथ ही हिंदुओं पर कई सालों तक अत्याचार किया. यदि एनसीईआरटी द्वारा इतिहास को फिर से बेहतर और सही तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाए, तो इससे आने वाली पीढ़ी को बहुत कुछ नया जानने का मौका मिलेगा. पारदर्शिता होना बहुत जरूरी है, जिससे सही और गलत का फैसला किया जा सकता है. यदि एक ही बात को सही बताया जाएगा, तो यह सच में इतिहास के साथ छेड़छाड़ है.

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एकतरफा बातें दिखाई और पढ़ाई गईं
भोपाल के रहने वाले आशीष ने इस बारे में कहा कि पुराने इतिहास में एकतरफा बातें दिखाई और पढ़ाई गईं. आज की पीढ़ी सही मायने में पुराने इतिहास से अब तक रूबरू नहीं हो पाई है. इसकी सबसे बड़ी वजह शुरुआत से उन्हें शिक्षा के नाम पर गलत इतिहास पढ़ाया गया, जिसकी वजह से आज लोग अकबर को महान बताते हैं. औरंगजेब ने अपने शासनकाल में जिस तरह मंदिर-गुरुद्वारे जैसे धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का काम किया था. इस तरह की सारी जानकारी आज की पीढ़ी को इतिहास की किताब में मिलनी ही चाहिए.

किताब में टिप्पणी भी जोड़ी गई
इन बदलावों के साथ किताब में एक चेतावनी स्वरूप टिप्पणी भी जोड़ी गई है, जिसमें लिखा गया है कि बीते समय की घटनाओं के आधार पर आज किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहिए. एनसीईआरटी की ओर से इन संशोधनों के पीछे के कारणों पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान या स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है. हालांकि यह स्पष्ट है कि नई सामग्री ऐतिहासिक तथ्यों के साथ एक विशेष दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास करती है.

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