एक लाख टन कचरे का पहाड़ खत्म किया, सीवर प्लांट भी चालू होने से बढ़े अंक, सफाई में 100/100 नंबर मिले – Sagar News

एक लाख टन कचरे का पहाड़ खत्म किया, सीवर प्लांट भी चालू होने से बढ़े अंक, सफाई में 100/100 नंबर मिले – Sagar News


50 हजार से 3 लाख की आबादी वाले शहरों में सागर शहर देश का 10वां सबसे स्वच्छ शहर है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 के घोषित नतीजों में नगर निगम सागर को देश में 10वां स्थान हासिल हुआ है। प्रदेशवार रैंकिंग आबादी की जगह कुल अंकों पर जारी की गई है, जिसमें सागर का

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यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ है। इससे पहले वर्ष 2022 में नगर निगम को देश में 13वां स्थान हासिल हुआ था। रैंकिंग में सुधार के सबसे महत्वपूर्ण कारण अमावनी के कचरे के पहाड़ को खत्म करना और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट और सीएंडडी वेस्ट प्लांट का चालू होना रहा। बीते साल डंप साइट्स में नगर निगम को शून्य अंक मिला था। इस बार 97% अंक मिले हैं। बीते साल नगर निगम को ओडीएफ प्लस प्लस और गार्वेज फ्री सिटी स्टार रेटिंग में थ्री स्टार मिला था। पहली बार सागर वाटर प्लस घोषित हुआ है।

रहली देश में चौथे, खुरई 7वें स्थान पर : 20 से 50 हजार की आबादी में रहली नपा ने देश में चौथा स्थान हासिल किया है। जबकि 50 हजार से 3 लाख की आबादी में खुरई को देश में 7वां स्थान मिला है। गढ़ाकोटा को देश में 24वां, शाहपुर को 35वां, बीना को 79वां, राहतगढ़ को 81वां, मकरोनिया को 112वां, बंडा को 281वां, शाहगढ़ को 406वां, देवरी को 480वां, सागर कैंट को 742वां स्थान मिला है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन इसी मूल मंत्र पर चलकर सुधरी रैंकिंग

छोटे शहरों से स्पर्धा, प्रतिद्वंद्वी 824

बीते साल सागर ने एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के साथ प्रतियोगिता की थी। इस बार सागर की 50 हजार से 3 लाख आबादी वाले शहरों के बीच प्रतियोगिता थी। चूंकि वर्ष-2011 में सागर की आबादी 2 लाख 73 हजार 296 थी। इसलिए सागर इसी में शामिल हुआ। पिछली बार एक लाख से अधिक की आबादी में शहरों की संख्या 446 थी। जबकि इस बार 50 हजार से 3 लाख आबादी वाले शहरों की संख्या 824 थी। यानी प्रतिद्वंदी दोगुना थे।

कचरे को अलग-अलग न लेने से कटे 23% अंक

कचरे को घर व दुकानों से अलग-अलग एकत्र करने के काम में भी लापरवाही बरती गई। इस बार पांच तरह के कचरे को अलग-अलग करने के आधार पर अंक दिए गए। इसके चलते नगर निगम को अंकों में नुकसान उठाना पड़ा। पिछले सर्वे में सोर्स सेग्रीगेशन में नगर निगम को 85% अंक मिले थे। जो इस बार घटकर मात्र 62% अंक ही रह गए। बीते सर्वे की तुलना में 23% अंकों का नुकसान हुआ। यदि यह अंक नहीं कटते तो निगम की स्थिति और भी बेहतर होती।

12500 में से 10702 मिले, बीते साल 6452.9 थे

वर्ष-2024 में जब रैंकिंग जारी की गई थी, उस समय कुल 9500 अंकों में से सागर को 6452.9 अंक मिले थे। इस बार कुल अंक बढ़ाकर 12500 किए गए थे। जिसमें सागर को 10702 अंक मिले हैं। अमावनी में कचरे का एक लाख टन का पहाड़ खत्म करने, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट चालू होने, सिरोंजा में निर्माण व विध्वंस सामग्री मलबा आदि का प्लांट चालू होने, मशीनों से सफाई के चलते सीधे 3000 अंक निगम को ज्यादा मिले। बीते वर्ष 68% अंक मिले। इस बार 86% अंक मिले हैं। ​​​​​​​

रैमकी की लापरवाही से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में कटे अंक

डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में नगर निगम के अंक कटे हैं। कई जगह कचरा गाड़ी समय से नहीं पहुंचने की शिकायतें आती रहती हैं। बीते वर्ष डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में सागर को 96% अंक मिले थे। जबकि इस बार यह घटकर 92% रह गए। रैमकी कंपनी द्वारा किए जा रहे काम में लापरवाही के चलते निगम के जो अंक और बढ़ने थे, वे घट गए। ​​​​​​​

सफाईकर्मियों ने दिया शतप्रतिशत रिजल्ट

आवासीय क्षेत्रों एवं बाजार क्षेत्रों में साफ-सफाई पर पिछले साल 81-81% अंक मिले थे। इस बार दोनों में ही 100% अंक मिले हैं। इससे साफ है कि नगर निगम के सफाई मित्रों, स्वच्छताकर्मियों ने अपने काम के प्रति समर्पण भाव दिखाया। जिसके चलते परिणाम भी शतप्रतिशत आया। इससे भी निगम की रैंक चढ़ी। ​​​​​​​

सौंदर्यीकरण पर फोकस, सफाई की निगरानी

नगर निगम की रैंक 70वें स्थान तक फिसलने के बाद से ही नगर निगम के अफसरों और जनप्रतनिधियों ने टॉप-10 में आने को लेकर लगातार मुहिम छेड़ी। विशेष तौर पर कचरा फेंके जाने वाले स्थानों पर सौंदर्यीकरण के काम कराए गए। सफाई की सतत निगरानी की गई। इन सबका असर भी रहा कि निगम की रैंक सुधरी। यदि रैमकी कंपनी के कर्मचारियों ने भी ईमानदारी से काम किया होता और नंबर न कटते तो सागर नंबर-1 भी बन सकता था। ​​​​​​​

सभी ने बताया सामूहिक प्रयासों का परिणाम

स्वच्छता रैंकिंग जारी होने के बाद सांसद डॉ. लता वानखेड़े, विधायक शैलेंद्र जैन, महापौर संगीता तिवारी, निगमाध्यक्ष वृंदावन अहिरवार और निगमायुक्त राजकुमार खत्री ने इसे सामूहिक प्रयास का परिणाम बताया है। सभी ने कहा कि स्वच्छता कर्मियों की अथक मेहनत, सामूहिक प्रयासों से यह रैंक मिली। इसमें शहरवासियों ने भी अपना योगदान दिया। ​​​​​​​



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