बता दें कि, इन दिनों खरगोन में मौसम का मिजाज समझ से परे है. कभी रुक-रुक कर बारिश हो रही है, तो कभी तेज धूप निकल रही है. यह बदलाव इंसानों के साथ-साथ फसलों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, इस असमय मौसम बदलाव के चलते जिले की प्रमुख नकदी फसल कपास (बीटी कॉटन) पर पैरामिल्ट वायरस का खतरा बढ़ने की संभावना है. यह वायरस पौधों की जड़ों को कमजोर कर उन्हें कुछ ही घंटों में मुरझा देता है.
कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि पैरामिल्ट कोई पारंपरिक वायरस नहीं बल्कि एक प्रकार की फिजियोलॉजिकल समस्या है, जो पौधे के अंदर जल और पोषण के प्रवाह में गड़बड़ी के कारण होती है. जब बारिश के बाद अचानक तेज धूप निकलती है या लंबा बारिश का अंतराल पड़ता है और फिर अचानक वर्षा होती है, तो यह स्थिति पैदा होती है. ऐसे मौसम में खेतों में अचानक कई पौधे एक साथ मुरझाते हुए दिखाई देते हैं.
पैरामिल्ट के लक्षण क्या हैं
2. ऊपर की टहनियां झुक जाती हैं या सूख जाती हैं.
3. पौधे का रंग हल्का पीला या भूरा हो जाता है.
4. कुछ पौधे खेत में ऐसे गिर जाते हैं जैसे उन्हें काट दिया गया हो.
72 घंटे में उपचार जरूरी
विशेषज्ञ का कहना है कि, अगर खेत में इस तरह के लक्षण दिखाई दें, तो किसान 72 घंटे के भीतर उपचार शुरू कर दें. जैसे ही पौधे मुरझाने के लक्षण दिखें, तो किसान कोबाल्ट क्लोराइट 10 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाएं और उसमें 20 ग्राम यूरिया डालकर पौधों की जड़ों में छिड़कें. यह इलाज 72 घंटे के अंदर करना जरूरी है, ताकि असर दिखे और बाकी पौधे सुरक्षित रहें. यह जड़ों की क्रिया को फिर से सक्रिय करता है और पौधे पानी खींचने लगते हैं.
बचाव के लिए अपनाए उपाय
वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने कहा कि, अगर बाजार में कोबाल्ट क्लोराइट उपलब्ध न हो, तो किसान इसके विकल्प के तौर पर=कॉर्बेंडाजिम 1 ग्राम + 20 ग्राम यूरिया प्रति लीटर पानी में मिलाकर जड़ों में डालें. या फिर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम + 20 ग्राम यूरिया प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. ध्यान रखें कि छिड़काव या सिंचन 3 दिन के भीतर हो जाए, तभी प्रभावी रहेगा.