मप्र के शासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय के प्राध्यापक संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को सातवें वेतनमान का लाभ देने का आदेश दिया है। अनुदान प्राप्त प्राध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि न्याय
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प्राध्यापक संघ के अधिवक्ता एलसी पटने ने कोर्ट को बताया कि मप्र सरकार वेतन संदाय अधिनियम 1978 की धारा 33(i) का उलंघन करते हुए अनुदान प्राप्त प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दे रही। जबकि उनके समकक्ष सरकारी कॉलेज के प्राध्यापकों को यह लाभ दिया जा रहा है।
तर्कों से सहमत हुआ कोर्ट प्रध्यापक संघ के प्रांतीय कोषाध्यक्ष डॉ. शैलेश जैन ने बताया कि जस्टिस जैन ने वकील एलसी पटने के तर्कों से सहमत होते हुए राज्य सरकार को अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अनुदान प्राप्त प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के आदेश जारी किए।
12 महीने में पूरा वेतन देने के आदेश हाई कोर्ट ने कहा कि इस आदेश के अनुपालन में राज्य द्वारा वहन की जाने वाली वित्तीय भागीदारी को देखते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि इस आदेश से चार महीने के भीतर याचिकाकर्ताओं को बकाया राशि का 25% भुगतान किया जाए और शेष बकाया राशि सेवानिवृत्त व्यक्तियों को इस आदेश के 9 महीने के भीतर भुगतान की जाए, जबकि जो लोग आज सेवा में हैं, उन्हें इस आदेश के 12 महीने के भीतर पूरा वेतन दिया जाएगा।
इन समय-सीमाओं का पालन न करने पर, इस आदेश के 9 या 12 महीने की समाप्ति से लेकर वास्तविक भुगतान तक, बकाया राशि पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगेगा।