नर्मदापुरम में शिक्षक कल्याण समिति के बैनर तले रविवार को शिक्षक-शिक्षिकाओं ने मप्र शासन के खिलाफ नारेबाजी की।
नर्मदापुरम में टीचर्स ने सरकार के विरोध में नारेबाजी की, रैली निकाली और प्रमुख सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा। पीपल चौक पर धरना दिए शिक्षकों ने कहा मप्र स्कूल शिक्षा, वित्त विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति दिनांक से संबंधी कार
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अब दूसरी बार पत्र देकर सूचना दी है। अब विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना का केस किया जाएगा।
रैली के दौरान शासन तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नियुक्ति दिनांक बहाल करो जैसे नारे लगाएं गए। शिक्षक कल्याण समिति के अध्यक्ष गजेंद्र बचले, सचिव राजेश पांडेय ने बताया नर्मदापुरम जिले के स्कूलों में पदस्थ सन 1998/99 कार्यरत शिक्षाकर्मी अपनी सेवाएं निरंतर स्कूल शिक्षा में देते चले आ रहे हैं।
20 साल की सेवा शून्य हुई मध्य प्रदेश शासन वित्त विभाग के द्वारा कर्मचारियों को समस्त लाभ क्रमोन्नति पदोन्नति उच्च पद प्रभार आदि का लाभ प्रथम व्यक्ति दिनांक 1998/99 से प्रदाय किया गया है, इसके विपरीत कर्मचारियों का वेतन (IFMIS) जो वित्त विभाग भोपाल और कोष लेखा शाखा भोपाल द्वारा संचालित किया जाता है।
उस पोर्टल पर कर्मचारियों की प्रथम नियुक्ति दिनांक दर्ज न करते हुए 01/07/2018 कर्मचारियों की पे स्लिप पर विभाग द्वारा दर्ज की गई है। जिसे कर्मचारियों की 20 साल की सेवा शून्य (0) हो गई।
हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी नहीं हुए संशोधन आदेश कर्मचारियों ने इसका विरोध करते हुए समय-समय पर शासन प्रशासन को ज्ञापन भी दिया था। नर्मदापुरम के समस्त शिक्षाकर्मी पीड़ित होकर न्यायालय की शरण में जाने के विवश हुए। हाईकोर्ट न्यायालय ने 04/04/2025 को अंतिम ऑर्डर जारी कर वित्त विभाग वल्लभ भवन, मंत्रालय भोपाल को निर्देशित किया गया है कि 90 दिवस के अंदर याचिका कर्ता को प्रथम नियुक्ति दिनांक में संशोधन करें।
बावजूद उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में 90 दिवस के अंदर हम याचिकाकर्ताओं को कार्रवाई से अवगत नहीं कराया गया है।
सरकार खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी शिक्षक संगठन नेता राजेश पांडेय, याचिकाकर्ता गजेंद्र बचले ने बताया हम लोगों के द्वारा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पारित आदेश के परिपालन में हमारे द्वारा आपके समक्ष प्रथम आवेदन 15 अप्रैल 2025 को दिया।
आज दिनांक तक प्रकरण में किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही आवेदक को किसी प्रकार की कृत कार्यवाही से अवगत कराया गया है। जानबूझकर उच्च न्यायालय की अवमानना की गई है। प्रस्तुत अभ्यावेदन का निराकरण शीघ्र नहीं होने पर सरकार के खिलाफ विरूद्ध अवमानना की कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट की शरण में जाने की चेतावनी दी।