गेहूं-चना छोड़िए, MP में शुरू हुई ‘सोने जैसी लकड़ी’ की खेती, इंटरनेशनल मार्केट में होती लाखों में डिमांड

गेहूं-चना छोड़िए, MP में शुरू हुई ‘सोने जैसी लकड़ी’ की खेती, इंटरनेशनल मार्केट में होती लाखों में डिमांड


खंडवा. खंडवा जिले सहित पूरे मध्यप्रदेश में परंपरागत फसलों जैसे गेहूं, चना, मक्का और सोयाबीन की खेती वर्षों से की जाती रही है, लेकिन बदलते समय और बाजार की मांग को देखते हुए अब कृषि में विविधता लाना आवश्यक हो गया है. इसी दिशा में एक अनोखा और लाभकारी विकल्प सामने आया है – महोगनी की लकड़ी की खेती.

महोगनी एक विदेशी प्रजाति की कीमती लकड़ी है, जिसकी मांग न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बहुत अधिक है. यह लकड़ी फर्नीचर, सजावटी वस्तुएं, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स और भवन निर्माण में बड़े पैमाने पर उपयोग की जाती है. इसकी कीमत बाजार में सागवान (टीक वुड) से भी अधिक होती है, और यही कारण है कि यह खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन निवेश बनकर उभर रही है.

खंडवा के कृषि क्षेत्र में काम कर रहे बी.डी. संखेरे, जोकि एक पॉलीटेक्निक कॉलेज में पर्यावरण और एग्रो फॉरेस्ट्री विषय पर कार्य कर चुके हैं, बताते हैं कि –”महोगनी की खेती उन किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो परंपरागत फसलों से अब थक चुके हैं और कुछ नया और स्थायी करना चाहते हैं. इस पेड़ की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह 11 से 12 वर्षों में पूरी तरह तैयार हो जाता है और इसके बाद एक पेड़ से लाखों की कमाई हो सकती है.”
वह आगे बताते हैं कि बहुत कम किसान इस ओर ध्यान दे रहे हैं जबकि इसमें कम देखरेख, पानी और श्रम की आवश्यकता होती है. महोगनी के साथ-साथ मलाबार नीम और बर्मा टीक जैसी प्रजातियां भी ऐसी हैं जो 3 से 4 साल में उपयोग लायक तैयार हो जाती हैं.

मलाबार नीम की बात करें तो इसका पौधा पहले साल 5 से 6 फीट का हो जाता है और अगली बारिश तक 15 से 20 फीट ऊंचा हो सकता है. यह लकड़ी प्लाईवुड उद्योग में अत्यधिक उपयोगी है और 4 वर्षों में किसान को बाजार में अच्छा मूल्य दिलवा सकती है. बी.डी. संखेरे किसानों को सलाह देते हैं कि –”ज़रूरी नहीं है कि किसान अपनी पूरी जमीन पर ये पेड़ लगाएं. वे चाहें तो खेत की मेडों पर, किनारों पर या अनुपयोगी भूमि पर इसकी रोपाई कर सकते हैं. इससे उनके पारंपरिक खेती पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन भविष्य के लिए एक स्थायी आमदनी का स्रोत बन जाएगा.”

आज जब सोयाबीन, चने या गेहूं की खेती में मौसम के उतार-चढ़ाव और बाजार के भाव किसानों को निराश कर रहे हैं, तब महोगनी जैसी वानिकी फसलें किसानों को आर्थिक स्थायित्व और बेहतर लाभ दिलाने में सक्षम हो सकती हैं. महोगनी का इंटरनेशनल मार्केट है, और इसकी लकड़ी की कीमत समय के साथ बढ़ती जाती है. किसान अगर इस दिशा में थोड़ा साहस दिखाएं और 10-20 पौधों से शुरुआत करें तो आने वाले 10-12 वर्षों में उन्हें बड़ी पूंजी अर्जित करने का अवसर मिलेगा.

महोगनी की खेती के लिए टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे बाजार में उपलब्ध हैं, जो अच्छी गुणवत्ता और तेज़ वृद्धि दर वाले होते हैं. यदि इसे सुनियोजित तरीके से किया जाए, तो किसानों को सालों भर की मेहनत से कहीं अधिक कमाई इसी एक फसल से हो सकती है. कहा जा सकता है कि महोगनी और मलाबार नीम जैसे विकल्प न केवल कृषि क्षेत्र में विविधता लाने में मदद करेंगे बल्कि जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण जैसे संकटों से निपटने में भी सहायक होंगे.किसान यदि समय रहते इस ओर कदम उठाएं तो आने वाले वर्षों में उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव संभव है. यह समय है परंपरागत सोच से आगे बढ़ने का — गेहूं और चना छोड़िए, और महोगनी जैसी वैकल्पिक खेती से बनाईए भविष्य को हराभरा और आर्थिक रूप से समृद्ध.



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