भेड़ियों पर रिसर्च ने लिया थ्रिलिंग मोड़, जाल, पिंजरा, दाना… सब नाकाम!

भेड़ियों पर रिसर्च ने लिया थ्रिलिंग मोड़, जाल, पिंजरा, दाना… सब नाकाम!


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Indian Wolves Intelligence: नौरादेही टाइगर रिजर्व में चल रहा भेड़ियों पर रिसर्च अब थ्रिलर बन चुका है. वैज्ञानिक भेड़ियों को पकड़ने के लिए बार-बार प्लान बदल रहे हैं, लेकिन चालाक भेड़िए हैं कि फंदे में आते ही नही…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • नौरादेही टाइगर रिजर्व में चल रहा भेड़ियों पर रिसर्च.
  • वैज्ञानिक भेड़ियों को पकड़ने के लिए बार-बार प्लान बदल रहे हैं.
  • चालाक भेड़िए हैं कि फंदे में आते ही नहीं.

अनुज गौतम, सागर: मध्य प्रदेश का नौरादेही टाइगर रिजर्व सिर्फ बाघों के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के सबसे स्मार्ट भेड़ियों के लिए भी जाना जाता है. यहाँ पर देश में सबसे ज़्यादा भारतीय भेड़िए (Indian Wolves) पाए जाते हैं और इन्हें समझना अब वैज्ञानिकों के लिए सरदर्द से कम नहीं.

रेडियो कॉलर का मिशन रह गया अधूरा

SFRI (स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट), जबलपुर ने इन भेड़ियों पर 2 साल की रिसर्च शुरू की है.

पहले फेज के बाद, अब दूसरे चरण में इन पर रेडियो कॉलर लगाने की योजना है ताकि उनके मूवमेंट, ग्रुप बिहेवियर, शिकार की रणनीति और दिनचर्या को ट्रैक किया जा सके.

दिल्ली से 4 महीने पहले मंज़ूरी मिल चुकी है, लेकिन…

भेड़िए अब तक एक भी बार पकड़े नहीं जा सके!

भेड़िए इतने चालाक? जाल, दाना, पिंजरा… सब बेकार!

वैज्ञानिकों ने पिंजरे लगाए, दाना डाला, कैमरे फिट किए… लेकिन भेड़िए हर बार जाल को सूंघ लेते हैं और दूर से निकल जाते हैं.बारिश शुरू होते ही मिशन को फिलहाल रोकना पड़ा है. अब प्लान चेंज होगा, बारिश के बाद नए तरीके से फिर से पकड़ने की कोशिश की जाएगी.

कहाँ रहते हैं ये भेड़िए? कैसे किया जाएगा अध्ययन?

नौरादेही अभ्यारण्य सागर, दमोह और नरसिंहपुर के बॉर्डर पर फैला हुआ है.

यहाँ के भेड़िए खास वजहों से स्टडी में लिए जा रहे हैं:

कहाँ रहते हैं, ग्रुप में या अकेले?

दिन या रात में शिकार करते हैं?

इंसानों से टकराव कितना होता है?

एक ग्रुप में कितने होते हैं?

उनका टेरिटोरियल बिहेवियर कैसा है?

1975 से अब तक: नौरादेही का सफर

1975: भेड़ियों के लिए बना एमपी का सबसे बड़ा अभ्यारण्य

2025: पहली बार भारतीय भेड़ियों पर रेडियो कॉलर रिसर्च

45 लाख का खर्च तय इस रिसर्च प्रोजेक्ट पर

वैज्ञानिकों के लिए ‘भेड़िए बन गए पहेली’ रिसर्च बन गई थ्रिलर सीरीज!

यह कहानी अब एक वाइल्डलाइफ थ्रिलर से कम नहीं लगती. भेड़िए बार-बार वैज्ञानिकों को चकमा दे रहे हैं, जैसे जंगल के असली जासूस हों! जैसे ही बारिश का मौसम खत्म होगा, एक बार फिर मिशन शुरू होगा… क्या इस बार पकड़ में आएंगे नौरादेही के चालाक भेड़िए?

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