श्रावण माह के दूसरे सोमवार पर भक्तों की भारी भीड़: शाम को चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में बाबा महाकाल देंगे दर्शन; सीएम भी होंगे शामिल – Ujjain News

श्रावण माह के दूसरे सोमवार पर भक्तों की भारी भीड़:  शाम को चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में बाबा महाकाल देंगे दर्शन; सीएम भी होंगे शामिल – Ujjain News


आज श्रावण माह का दूसरा सोमवार है। देश भर से बड़ी संख्या में महाकाल के भक्त उज्जैन पहुंचे हैं। पहले सोमवार को 2.5 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए थे। इस बार भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के उम्मीद है। शाम चार बजे भगवान महाकाल की

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इस मौके पर सीएम डॉ. मोहन यादव भी भगवान महाकाल की सवारी में शामिल होंगे। वे सुबह उज्जैन आएंगे। स्थानीय कार्यक्रम में शामिल होने के बाद दोपहर में महाकाल मंदिर के सभा मंडपम में भगवान का पूजन अर्चन करेंगे। शाम चार बजे निकलने वाली सवारी में भी मौजूद रहेंगे।

श्रावण माह के दूसरे सोमवार पर तड़के भस्म आरती के दौरान विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में प्रातःकालीन 2:30 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। भस्म आरती के बाद अब रात 10 बजे तक शयन आरती तक दर्शन का सिलसिला लगातार जारी रहेगा।

उज्जैन में सावन के पहले सोमवार को 2.5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे।

बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन

श्रावण माह के दूसरे सोमवार पर मंदिर के पट खुलने के बाद सभा मंडप में वीरभद्र जी के कान में स्वस्तिवाचन कर भगवान से आज्ञा लेकर चांदी का पट खोला गया। कर्पूर आरती की गई। नंदी हाल में नंदी जी का स्नान, ध्यान, पूजन किया गया।

जल से भगवान महाकाल का अभिषेक करने के बाद दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भगवान महाकाल का रजत चंद्र, त्रिशूल, मुकुट, आभूषण, भांग, चंदन और ड्रायफ्रूट से श्रृंगार कर भस्म अर्पित की गई। शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाला और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ सुगंधित पुष्पों से बनी फूलों की माला भगवान महाकाल ने धारण की। फल और मिष्ठान का भोग अर्पित किया गया।

भस्म आरती के दौरान चलायमान दर्शन व्यवस्था में बिना अनुमति वाले भक्तों ने भी चलित दर्शन किए। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर महाकाल के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई थी।

महेश पुजारी ने बताया कि श्रावण माह तपस्या का माह होता है। महाकाल मंदिर में सुबह तीन बजे भस्म आरती हुई। भगवान की दिनचर्या प्रतिदिन की तरह रही। सुबह भगवान को भांग और चंदन अर्पित किया गया। श्रावण माह में महाकाल मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्त जल अर्पित कर भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रसन्न करते हैं।

जल अर्पित कर भगवान महाकाल का आशीर्वाद ले सकेंगे भक्त

महाकाल मंदिर समिति ने भक्तों को जल चढ़ाने के लिए दो पात्र लगाए हैं। पहला कार्तिकेय मंडपम के पास और दूसरा सभा मंडपम में। इन पात्रों में भक्त जल अर्पित कर सकेंगे। यहां से चढ़ाया गया जल सीधे बाबा महाकाल को अर्पित होगा।

कांवड़ यात्रियों की दर्शन व्यवस्था

श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण-भादौ मास में अत्यधिक संख्या में कांवड़ यात्रियों का आगमन बाबा महाकाल को जल अर्पण करने के लिए होता है। कांवड़ यात्रियों द्वारा पूर्व सूचना दिए जाने पर शनिवार, रविवार और सोमवार को छोड़कर, द्वार क्रमांक 04 से प्रवेश दिया जाएगा।

इसके बाद विश्रामधाम – रैम्प – सभा मंडपम् में जल पात्र के माध्यम से बाबा महाकाल को जल अर्पण करने की व्यवस्था निर्धारित रहेगी। जिन्होंने सूचना नहीं दी है, वे कांवड़ यात्री सामान्य दर्शनार्थियों की तरह पंक्ति में लगकर दर्शन करेंगे।

श्रद्धालुओं के लिए 6 स्थानों पर जूता-चप्पल स्टैंड

महाकाल मंदिर में अलग-अलग द्वारों से आने वाले श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल निम्न स्थानों पर उतार सकेंगे। त्रिवेणी संग्रहालय, महाकाल लोक प्लाजा, बड़ा गणेश के पास, हरसिद्धि मंदिर के पास, मानसरोवर भवन के पास और प्रशासनिक भवन के पास उतार सकेंगे।

दूसरी सवारी शाम चार बजे निकलेगी

भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में दूसरे सोमवार, 21 जुलाई को भगवान श्री महाकालेश्वर श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में और हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर प्रथम कौशिक ने बताया कि भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर की सवारी निकलने से पूर्व, श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में विधिवत पूजन-अर्चन होगा।

उसके बाद भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर, रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी।

इन मार्गों से निकलेगी सवारी

सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। यहां मां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई लगभग शाम 7 बजे पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।

सवारी के लाइव दर्शन कर सकेंगे

श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी का लाइव प्रसारण मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक पेज पर किया जाएगा। सवारी के अंत में चलित रथ में लगी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से, सवारी मार्ग में दर्शन के लिए खड़े श्रद्धालुओं के लिए लाइव दर्शन की व्यवस्था की गई है।

सवारी और रामघाट पर 7 राज्यों के कलाकार देंगे प्रस्तुति

श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी को भव्य स्वरूप देने के लिए 7 राज्यों के कलाकार प्रस्तुति देंगे। श्री महाकालेश्वर भगवान की दूसरी सवारी में 8 जनजातीय कलाकारों का दल सहभागिता करेगा। इसमें मध्यप्रदेश (झाबुआ) का भगोरिया नृत्य, महाराष्ट्र (नासिक) का सौगी मुखौटा नृत्य, गुजरात का राठ जनजातीय नृत्य, राजस्थान का गैर-घूमरा जनजातीय नृत्य शामिल है। ये सभी दल भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी के साथ सम्पूर्ण मार्ग में अपनी प्रस्तुति देंगे।

इनके अलावा ओडिशा का शंखध्वनि लोकनृत्य दल, छत्तीसगढ़ का लोकपंथी लोकनृत्य दलरामघाट पर सवारी के आगमन पर प्रस्तुति देंगे।

वहीं, हरियाणा का हरियाणवी घूमर लोकनृत्य, मध्यप्रदेश (छतरपुर) का बरेदी लोकनृत्य दल क्षिप्रा तट के दूसरी ओर दत्त अखाड़ा क्षेत्र में सवारी के रामघाट आगमन पर प्रस्तुति देंगे।



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