कटी बस्ती का ये तरीका छूमंतर कर देगा पुराने से पुराना दर्द, सर्वाइकल और स्लिप डिस्क में भी मिलेगा आराम!

कटी बस्ती का ये तरीका छूमंतर कर देगा पुराने से पुराना दर्द, सर्वाइकल और स्लिप डिस्क में भी मिलेगा आराम!


कमर दर्द से छुटकारा: कमर दर्द आज के समय में एक आम समस्या बन चुकी है. युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं. खासकर बैठकर काम करने वाले लोग, या फिर जो लंबे समय तक खड़े रहते हैं, उन्हें अक्सर पीठ और कमर के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत रहती है. आयुर्वेद में इस दर्द का एक खास समाधान मौजूद है, जिसे “कटी बस्ती” कहा जाता है. यह एक पारंपरिक चिकित्सा विधि है, जो हजारों वर्षों से अपनाई जाती रही है.
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. शंकर प्रसाद वैश्य (MD Ayurveda, श्री हरिहर आयुर्वेद पंचकर्म सेंटर) बताते हैं कि कटी बस्ती एक पंचकर्म की विधि है, जिसमें कमर के निचले हिस्से पर विशेष प्रकार का तेल एक सीमित घेरे में डाला जाता है. यह न केवल पीठ दर्द बल्कि सर्वाइकल, लंबर स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क और सायटिका जैसी समस्याओं में भी लाभकारी है.”

कटी बस्ती प्रक्रिया क्या है?
कटी बस्ती शब्द दो भागों से बना है …”कटी” यानी कमर और “बस्ती” यानी रोककर रखना. इस प्रक्रिया में उड़द की दाल के आटे से एक गोलाकार रिंग या दीवार बनाई जाती है, जो मरीज की कमर पर चिपकाई जाती है. इसके अंदर गुनगुना आयुर्वेदिक तेल डाला जाता है, जो निर्धारित समय तक वहीं रखा जाता है.
इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाला तेल पूरी तरह शरीर के भीतर के ऊतकों में समाहित होता है और गहराई से हड्डियों, नसों और मांसपेशियों पर काम करता है. धीरे-धीरे दर्द में राहत मिलती है और लचीलापन लौटने लगता है.

कौन-से तेल का होता है इस्तेमाल?
डॉ. वैश्य के अनुसार, इस प्रक्रिया में आमतौर पर महा नारायण तेल, महाविषगर्भ तेल, या महा माष तेल जैसे औषधीय तेलों का प्रयोग किया जाता है. ये तेल दर्द और सूजन को कम करने के लिए जाने जाते हैं. अगर ये उपलब्ध न हों, तो सरसों का तेल या तिल का तेल भी प्रयोग किया जा सकता है, हालांकि औषधीय तेल ज्यादा प्रभावशाली होते हैं.

नाभि या कमर में तेल लगाने के क्या फायदे हैं?
आयुर्वेद में मान्यता है कि शरीर की त्वचा में छोटे-छोटे रोम छिद्र होते हैं, जिनसे तेल शरीर में अंदर प्रवेश करता है. जब ये तेल कमर में डाला जाता है, तो ये सीधे रीढ़ की हड्डी और आसपास की मांसपेशियों पर असर डालता है. इससे:
रीढ़ की हड्डी को ग्रीसिंग और पोषण मिलता है,
नसों का खिंचाव कम होता है,
रक्तसंचार बेहतर होता है,
सूजन और दर्द में आराम मिलता है,
नियमित करने पर ऑपरेशन की नौबत नहीं आती.

किन समस्याओं में है यह फायदेमंद?
स्लिप डिस्क
सायटिका
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
लंबर स्पॉन्डिलाइटिस
पीठ या कमर का क्रॉनिक दर्द
बैठने पर दर्द होना
चलने में परेशानी

क्या यह घर पर किया जा सकता है?
डॉ. वैश्य का कहना है कि हालांकि इसे पंचकर्म क्लीनिक में कराना बेहतर होता है, लेकिन सामान्य घरेलू उपचार के तौर पर लोग रात को सोते समय तिल या सरसों का तेल हल्का गर्म करके कमर पर लगाएं और हल्की मसाज करें तो भी बहुत आराम मिल सकता है. खासतौर पर ठंडी जगह में सोने वाले या वात रोग से पीड़ित लोगों को यह नियमित करना चाहिए.
कटी बस्ती एक बेहद सरल लेकिन प्रभावशाली आयुर्वेदिक उपचार है जो न सिर्फ दर्द से राहत देता है, बल्कि रीढ़ की हड्डी को मजबूती भी प्रदान करता है. नियमित तेल प्रयोग से आप ऑपरेशन जैसी स्थितियों से भी बच सकते हैं. अगर कमर दर्द से आप परेशान हैं तो आज ही इस उपचार को अपनाकर फर्क महसूस करें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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