नींबू, अमरूद, पपीता… अब पारंपरिक नहीं, फलदार खेती बना रही किसानों को मालामाल, 1 ही जमीन से हो रही दुगनी कमाई

नींबू, अमरूद, पपीता… अब पारंपरिक नहीं, फलदार खेती बना रही किसानों को मालामाल, 1 ही जमीन से हो रही दुगनी कमाई


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Agriculture News: खरगोन सहित मध्यप्रदेश में किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी की ओर बढ़ रहे हैं. जुलाई-अगस्त में फलदार पौधों की बुआई और इंटरक्रॉपिंग से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • जुलाई-अगस्त में फलदार पौधों की बुआई
  • कम लागत में अधिक मुनाफा
  • इंटरक्रॉपिंग से किसान कमा रहे ज्यादा
खरगोन. खरगोन सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों में अब किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं. खासकर खरीफ सीजन में जब फसलों में जोखिम और लागत बढ़ गई है, ऐसे में बागवानी किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प बनकर उभरी है. कृषि वैज्ञानिकों की माने, तो जुलाई से अगस्त के बीच का समय फलदार पौधों की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त होता है. इस दौरान पौधों की ग्रोथ बेहतर होती है और वे मौसम के अनुसार खुद को ढ़ाल लेते हैं.

उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी बताते हैं कि अगर किसान भाई इस समय बगीचा लगा रहे हैं, तो बुआई के बाद जो खाली जगह बचती है, उसका उपयोग इंटरक्रॉपिंग के लिए करना चाहिए. इससे शुरुआती वर्षों में भी खेत से आमदनी मिलती रहेगी. किसान नींबू, अमरूद, पपीता, केला, संतरा जैसे फलदार पौधों को 20×20 फीट की दूरी पर लगाएं, और इस बीच की जगह में प्याज, लहसुन, अदरक या हल्दी जैसी फसलें लें.

बागवानी के लिए मिट्टी उपर्युक्त
खरगोन की मिट्टी और मौसम फलों की खेती के लिए बेहद अनुकूल माने जाते हैं. यहां नींबू, चीकू, आम, केला और पपीता की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. इन फलों की खास बात यह है कि इन पर लागत कम आती है और इनकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है. इसके चलते किसान लंबे समय तक खेत से स्थायी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.

तीन-चार वर्षों तक मिलेगा मुनाफा
डॉ. त्यागी कहते हैं कि इंटरक्रॉपिंग से तीन से चार वर्षों तक अतिरिक्त आमदनी हो सकती है. जब तक बागवानी पौधे पूरी तरह फल देना शुरू नहीं करते, तब तक सब्जियों और मसालों से आमदनी होती रहती है. यह तरीका खासकर उन किसानों के लिए कारगर है जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा चाहते हैं.

खेती में इन बातों का ध्यान रखें
विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि बागवानी की शुरुआत करते समय मिट्टी की जांच अवश्य कराएं और पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग करें. इससे पानी की बचत भी होती है और पौधों की जड़ तक नमी सही मात्रा में पहुंचती है. यदि किसान इस तकनीक को अपनाएं तो एक ही खेत से दुगनी कमाई कर सकते हैं.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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