बुंदेली कविता के रूप में वर्णमाला पढ़ा रहे शिक्षक।
सागर जिले की रहली तहसील के कुदपुरा गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल में बच्चों को अब बुंदेली कविता के जरिए वर्णमाला सिखाई जा रही है। शिक्षक ईश्वर दयाल गोस्वामी ने 13 पदों की कविता तैयार की है, जिससे बच्चे न सिर्फ जल्दी सीख रहे हैं बल्कि घर जाकर भी इसे ग
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स्कूल में पदस्थ शिक्षक ईश्वर दयाल गोस्वामी न सिर्फ शिक्षक हैं, बल्कि बुंदेली के जाने-माने कवि भी हैं। वे अब तक 57 पुरस्कार जीत चुके हैं, जिनमें 7 अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए कविता को माध्यम बनाया। पहले साधारण कविता के रूप में वर्णमाला सिखाई, फिर उसे 13 पदों की बुंदेली कविता में ढालकर रोजाना अभ्यास शुरू कराया।
बुंदेली भाषा से जुड़ाव, सीखने में तेजी गोस्वामी का कहना है कि बच्चों की मातृभाषा बुंदेली है। इस वजह से जब पढ़ाई की भाषा भी वही होती है, तो बच्चे जल्दी समझते हैं और याद रखते हैं। वर्णमाला की बुंदेली कविता का असर यह है कि बच्चे न केवल कक्षा में मन लगाकर पढ़ते हैं, बल्कि स्कूल से घर लौटने के बाद भी उसे गुनगुनाते हैं।
स्कूल में बच्चों को पढ़ाई कराते शिक्षक ईश्वर दयाल।
कक्षा 1 से 5 तक सभी बच्चे लाभान्वित यह नवाचार कक्षा पहली से पांचवीं तक के सभी बच्चों को सिखाया जा रहा है। परिणामस्वरूप हर छात्र को वर्णमाला याद हो रही है। गोस्वामी का मानना है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह कविता एक सशक्त शैक्षणिक माध्यम साबित होगी।
सरकारी स्कूलों में नवाचार की मिसाल जिला सागर में जहां सरकारी स्कूलों पर अक्सर पढ़ाई को लेकर सवाल उठते हैं, वहीं कुदपुरा का यह प्रयोग बाकी स्कूलों के लिए प्रेरणा बन सकता है। क्षेत्रीय भाषा, कविता और नियमित अभ्यास के जरिए शिक्षक ने सीखने को बच्चों के लिए रुचिकर बना दिया है।