शिव जी की आधी परिक्रमा क्यों करते हैं? मंदिर जाने से पहले जान लें ये नियम, वरना हो सकता है दोष

शिव जी की आधी परिक्रमा क्यों करते हैं? मंदिर जाने से पहले जान लें ये नियम, वरना हो सकता है दोष


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Shiv Parikrama Niyam: सावन के पवित्र माह में शिवलिंग की पूजा के दौरान परिक्रमा विशेष महत्व रखती है. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज बताते हैं कि शिवलिंग की पूरी नहीं, केवल आधी परिक्रमा करनी चाहिए.

हाइलाइट्स

  • शिवलिंग की पूजा के दौरान परिक्रमा
  • परिक्रमा करने से मनोकामना पूर्ण
  • त्रोच्चारण से यह फल
उज्जैन. सावन का पवित्र माह चल रहा है. इस दौरान शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब देखने को मिल रहा है. अक्सर देखा जाता है. भगवान की पूजा-पाठ के साथ कई लोग मनोकामना पूरी जल्द हो जाए इसके लिए भगवान की परिक्रमा भी लगाते हैं. मान्यता है कि परिक्रमा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं. देवी-देवताओं की परिक्रमा करना पूजा पाठ का ही एक हिस्सा माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है शिव की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए. आइए उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते है इसका लाभ क्या है?

क्यों नही की जाती शिव की परिक्रमा पूरी?
धर्म शास्त्रों में शिवलिंग की परिक्रमा के लिए कुछ नियमों का उल्लेख किया गया है. कहते हैं अगर इनका पालन न किया जाए, तो शिव अराधना का फल नहीं मिल पाता है. धर्म ग्रंथों में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने को लिए कहा गया है. धर्म शास्त्रों में शिवलिंग की चंद्राकार परिक्रमा करने को कहा गया है. मान्यता है कि शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से शुरू करनी चाहिए. इसके बाद आधी परिक्रमा करके फिर लौटकर उसी जगह वापस आ जाना चाहिए जहां से परिक्रमा शुरू की थी.

पूरी परिक्रमा करने पर लगता है दोष 
जिस स्थान से शिवलिंग का जल प्रवाहित होता है उसे जलधारी, निर्मली और सोमसूत्र कहते हैं. कहते हैं कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद उसे कभी नहीं लांघना चाहिए. अगर आप गलती से भी ऐसा करते हैं तो जलधारी की ऊर्जा मनुष्य के पैरों के बीच से होते हुए शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसके चलते शरीर में शारीरिक और मानसिक बीमारियां हो सकती हैं. और अनेक प्रकार का दोष लगता है.

परिक्रमा से होते हैं अनेक लाभ
हिंदू धर्म मे भगवान कि परिक्रमा लगाना एक विधान है. परिक्रमा हमेशा पूर्ण श्रद्धा और सच्चे मन से लगानी चाहिए. परिक्रमा के दौरान हमेशा परमात्मा का ध्यान करना चाहिए और परिक्रमा मार्ग में मंत्र का जाप करना चाहिए. मान्यता है कि परिक्रमा लगाने से इंसान को शुभ फल की प्राप्ति होती है. कष्टों से छुटकारा मिलता है और साथ ही निगेटिव ऊर्जा से मुक्ति मिलती है. पॉजिटिव ऊर्जा का संचार है.

मन्त्र का अर्थ
जाने-अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाएं. भगावन मुझे अच्छी बुद्धि प्रदान करें. यह मन्त्र याद न हो तो जिस किसी मंदिर मे आप परिक्रमा कर रहे हैं, उन भगवान का नाम स्मरण भी कर सकते हैं. अगर यह मन्त्र करते हैं तो अत्यधिक लाभ होता है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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शिव जी की आधी परिक्रमा क्यों करते हैं? मंदिर जाने से पहले जान लें ये नियम

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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