राजगढ़ में निजी स्कूलों पर कलेक्टर सख्त: ई-पीएफ, ऑडिट और स्कूल वाहनों की जानकारी मांगी, नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना – rajgarh (MP) News

राजगढ़ में निजी स्कूलों पर कलेक्टर सख्त:  ई-पीएफ, ऑडिट और स्कूल वाहनों की जानकारी मांगी, नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना – rajgarh (MP) News



राजगढ़ जिले में संचालित निजी स्कूलों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शनिवार को कलेक्ट्रेट में कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिले के 57 निजी स्कूलों के प्राचार्य और संचालक शामिल

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इस दौरान विद्यार्थियों की संख्या और शिक्षकों की उपलब्धता, ई-पीएफ कटौती की स्थिति, फीस संरचना की पारदर्शिता, निर्धन छात्र सहायता कोष का उपयोग, वाहनों की फिटनेस और ड्राइवर वेरिफिकेशन, ऑडिट रिपोर्ट की समय पर प्रस्तुति पर बात की गई।

दो स्कूलों पर कार्रवाई बैठक में प्रज्ञा पब्लिक स्कूल, माचलपुर द्वारा शिक्षकों का ई-पीएफ नहीं काटने पर नाराजगी जताई गई। कलेक्टर ने स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। वहीं, के.के. मेमोरियल स्कूल, राजगढ़ द्वारा बीते वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट और दस्तावेज प्रस्तुत न करने पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए गए।

मां सरस्वती एकेडमी, जीरापुर के प्राचार्य की अनुपस्थिति पर स्कूल को नोटिस और आर्थिक दंड लगाने को कहा गया।

निर्धन छात्र सहायता पर स्पष्ट निर्देश कलेक्टर मिश्रा ने कहा कि निर्धन छात्र सहायता कोष का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना है। सभी स्कूल ऐसे बच्चों की सूची तैयार करें और उन्हें पूर्ण सहयोग दें। स्कूलों को निर्देशित किया गया कि वे अपने स्कूल वाहनों की आरटीओ पंजीयन, फिटनेस प्रमाणपत्र और ड्राइवर का पुलिस सत्यापन कर प्रशासन को रिपोर्ट सौंपें।

सरकारी शिक्षक कोचिंग चला रहे – जांच के आदेश बैठक के अंत में कलेक्टर ने एक गंभीर मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ब्यावरा क्षेत्र से कुछ सरकारी शिक्षकों के निजी स्कूल या कोचिंग संचालन की शिकायतें मिली हैं। इस पर उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी करण सिंह भिलाला को जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।

कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने साफ कहा, शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता से समझौता नहीं किया जाएगा। अब हर जिम्मेदारी तय होगी और कार्रवाई भी होगी।

बैठक में डीईओ भिलाला सहित जिले के प्रमुख अशासकीय विद्यालयों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। प्रशासन का यह कदम जिले में निजी शिक्षा संस्थानों की पारदर्शिता, जवाबदेही और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।



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