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Jabalpur Ground Report: जबलपुर के कलेक्टर ने स्कूली बच्चों को ई-रिक्शा से ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसे में वहां के लोगों का क्या कहना है आइए जानते हैं.
ऑटो चालक का भी छलका दर्द, बोले; हम कहां जाए
ऑटो चालक का कहना था वैसे ही बेरोजगारी है, ऐसे में चंद पैसे जमा कर किस्तों में ई-रिक्शा लिया था. उसी से घर का भरण पोषण होता था. अब प्रतिबंध लगने के बाद हम कहां जाएंगे. हमारे बारे में भी सोचा जाना चाहिए. ई-रिक्शा में फॉल्ट था फिर बताया क्यों नहीं गया और आज बच्चे बंद कर रहे हैं, कल सवारी फिर ई-रिक्शा…उसके बाद कहेंगे जाओ. गौरतलब हैं जबलपुर शहर में करीब 15 हजार ई रिक्शा का संचालन हो रहा है, इतना ही नहीं कुछ ई-रिक्शा ऐसे भी हैं, जिनके माता-पिता अपने बच्चों को अपने घर के ही ई रिक्शा में स्कूल छोड़ने आते हैं.
कुछ अविभावकों का कहना था ई-रिक्शा सस्ता विकल्प था, जहां बस और वैन के मुकाबले कम पैसे भी लगते थे. जहां दोनों के रेट में जमीन आसमान का अंतर हैं. बच्चे बैठने में भी कंफर्ट महसूस करते थे. एकाएक फैसले के बाद हमारे पास भी कोई विकल्प नहीं बचा है. जबकि कुछ पेरेंट्स का कहना था कलेक्टर का फैसला अच्छा हैं. लिहाजा ऐसा भी देखने मिला, जहां कुछ पेरेंट्स प्रतिबंध के बाद अपने बच्चों को खुद ही पैदल छोड़ने भी आए.
आदेश न मानने पर होगी कार्यवाही
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि स्पष्ट हिदायत दी गई है, स्कूली बच्चों का ई-रिक्शा में परिवहन ना किया जाए. यदि ऐसा करते हुए कोई पाया जाएगा, तब धारा 223 और अन्य प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी. आपको बता दें हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करने स्कूलों और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं. जिसके बाद जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने आदेश जारी किया था. जिसमें कहा गया था ई-रिक्शा में बच्चे सुरक्षित नहीं होते.