यह मंदिर मंडलेश्वर के पास कसारखाली (श्रीनगर) में स्थित है. पुजारी राधेश्याम सोनी बताते हैं कि करीब 61 साल पहले मंडलेश्वर थाने के तत्कालीन थानेदार सनपाल ने एक पीपल के पेड़ के नीचे मंदिर की नींव रखी थी. धीरे-धीरे यहां भक्तों की भीड़ बढ़ती गई और 2001 में मंदिर का निर्माण भव्य रूप में किया गया. मान्यता है कि यहां मांगी हर मुराद बाबा पूरी करते हैं. श्रद्धालु नारियल चढ़ाने से लेकर तुलादान तक की परंपरा निभाते हैं.
नाग पंचमी के दिन मंदिर में खास पूजा, श्रृंगार और महाआरती होती है. पूरे मंदिर को आकर्षक लाइटिंग से सजाया जाता है. पुजारी के मुताबिक, हर साल इस दिन करीब 5 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस बार संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. जिले सहित इंदौर, धार, बड़वानी और अन्य जिलों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. मंदिर परिसर में सुबह से ही लंबी कतारें लग जाती हैं और दिनभर भक्ति का माहौल बना रहता है.
इस बार भी तीन दिन चलेगा मेला
मंदिर समिति के सदस्य संतोष मोयदे ने बताया कि इस बार मेला भी तीन दिन 28, 29 और 30 जुलाई तक लगेगा. कृषि उपज मंडी में झूले लगाने प्रारंभ हो गए है. मेले में ड्रैगन, नाव, क्रॉस जैसे बड़े झूले रहेंगे, जिनका किराया 30 से 40 रुपये तक रहेगा. छोटे बच्चों के लिए अलग झूले और खेलों की व्यवस्था होगी. खाने-पीने की दुकानों के साथ पूजा सामग्री, खिलौने और महिलाओं के लिए ज्वेलरी, घरेलू सामान की दुकानें भी लगेंगी. शाम के समय मेले में रौनक अपने चरम पर होती है.
हर साल की तरह इस बार भी मंदिर की व्यवस्था महात्मा गांधी शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मंडलेश्वर के एनसीसी कैडेट्स संभालेंगे. ये युवा अनुशासन के साथ दर्शन व्यवस्था, प्रसाद वितरण और पार्किंग की जिम्मेदारी निभाते हैं. पुजारी का कहना है कि इन कैडेट्स की सेवा से मंदिर में किसी श्रद्धालु को असुविधा नहीं होती.
5 क्विंटल मोदक प्रसाद तैयार
नाग पंचमी के इस विशेष अवसर पर मंदिर सेवा समिति द्वारा इस बाद 5 क्विंटल प्रसाद तैयार किया जाएगा. यह खास प्रसादी बाटी को पीसकर उसमें देशी घी, गुड़, शक्कर और सूखे मेवे मिलाकर बनाई जाती है. नाग पंचमी के दिन दर्शन करने आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को यह प्रसादी वितरित की जाएगी.