स्कूल भवन जर्जर होने पर परिसर में बने चबूतरे पर बैठकर पढ़ाई करते बच्चे।
सागर जिले के बंडा विकासखंड के ग्राम सिसगुवां की प्राथमिक शाला का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। छत से बारिश का पानी टपकता है और कभी भी हादसा हो सकता है। भवन की हालत को देखते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि भवन के अंदर कक्षाएं
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स्कूल में पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं लगती हैं, जिनमें 106 विद्यार्थी दर्ज हैं। चार शिक्षक पदस्थ हैं, लेकिन भवन की हालत के कारण नियमित पढ़ाई नहीं हो पा रही है। बारिश के दौरान चबूतरे पर भी पढ़ाना संभव नहीं होता, जिससे कई बार बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है।
अगस्त 2024 से जर्जर घोषित, वैकल्पिक व्यवस्था नहीं प्रधानाध्यापक राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि अगस्त 2024 में स्कूल भवन को आधिकारिक रूप से क्षतिग्रस्त घोषित किया गया था। तभी से बच्चों को बाहर पढ़ाया जा रहा है। बारिश हो या गर्मी, छात्र पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते हैं। अब तक न तो भवन की मरम्मत कराई गई है, न ही कोई वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराया गया है।
सिसगुवां प्राथमिक शाला भवन जर्जर।
ग्रामीणों ने दी कई बार शिकायत, फिर भी कार्रवाई नहीं गांव के निवासी मुन्ना लोधी ने बताया कि स्कूल भवन की स्थिति को लेकर ग्रामीणों ने विधायक और अधिकारियों को कई बार अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि भवन की हालत इतनी खराब है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

स्कूल भवन जर्जर होने से छत से टपकता है पानी।
प्रस्ताव भेजा, लेकिन निर्माण शुरू नहीं हुआ प्रधानाध्यापक के अनुसार, स्कूल भवन के लिए नया प्रस्ताव भेजा गया है और वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई है। लेकिन अभी तक निर्माण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और पेरेंट्स भी चिंतित हैं।