10 रन से फर्क ही क्या पड़ना था… जडेजा के हाथ ना मिलाने पर स्टोक्स की बचकानी सफाई

10 रन से फर्क ही क्या पड़ना था… जडेजा के हाथ ना मिलाने पर स्टोक्स की बचकानी सफाई


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Ravindra Jadeja Ben Stokes Handshake Drama: इंग्लैंड की टीम जब रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर को आउट करने में नाकाम रही तो कप्तान बेन स्टोक्स ने इनके शतक छीनने के लिए ऐसी चाल चली, जिसने उनकी खेलभावना को बेनकाब…और पढ़ें

चौथा टेस्ट खत्म होने के बाद वॉशिंगटन सुंदर से हाथ मिलाते बेन स्टोक्स.

हाइलाइट्स

  • हैंडशेक ड्रामा पर बेन स्टोक्स ने दी सफाई.
  • जडेजा ने ठुकरा दिया था स्टोक्स का ऑफर.
  • ड्रॉ के ऑफर के समय 89 पर नाबाद थे जड्डू.
Ravindra Jadeja Ben Stokes Handshake Drama: रवींद्र जडेजा और बेन स्टोक्स का हैंडशेक ड्रामा अपनी नाटकीयता से बढ़कर कंट्रोवर्सी का रूप लेता जा रहा है. इंग्लिश कप्तान बेन स्टोक्स इस कंट्रोवर्सी के एकमात्र विलेन हैं. इंग्लैंड की टीम जब रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर को आउट करने में नाकाम रही तो कप्तान स्टोक्स ने इनके शतक छीनने के लिए ऐसी चाल चली, जिसने उन्हें ही विलेन बना दिया. मैच के बाद स्टोक्स अपनी सफाई में यह कहते नजर आए कि 10 या थोड़े ज्यादा रन से फर्क ही क्या पड़ता है.

भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में खेला गया चौथा टेस्ट ड्रॉ रहा. इस मैच में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन बेन स्टोक्स का रहा, जिन्होंने भारत की पहली पारी में 5 विकेट झटके और फिर 141 रन की पारी भी खेली. लेकिन रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर के शतकों ने स्टोक्स के प्लेयर ऑफ द मैच वाले परफॉर्मेंस की वॉट लगा दी. इसकी हताशा भी स्टोक्स की हरकतों में दिखी. सच कहें तो कोई खिलाड़ी एक ही मैच में हीरो से विलेन कैसे बन सकता है, इसका सटीक उदाहरण बेन स्टोक्स हैं.

बेन स्टोक्स ने मैच के पांचवें दिन जब खेल में एक घंटे का खेल बाकी था तब रवींद्र जडेजा की ओर हाथ बढ़ाया. यह ड्रॉ की पेशकश थी. बेन स्टोक्स हाथ मिलाकर मैच वहीं खत्म करना चाह रहे थे जबकि तब रवींद्र जडेजा 89 और वॉशिंगटन सुंदर 80 रन पर नाबाद थे. जाहिर है कि जडेजा और सुंदर दिनभर की अपनी मेहनत को शतक में तब्दील करना चाह रहे थे. यह उनका हक भी था, भले ही इससे मैच के नतीजे पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.

जब बेन स्टोक्स से ड्रॉ की उनकी पेशकश और उसे ठुकराए जाने के बारे में पूछा गया कि उन्होंने कहा, ‘उन दोनों ने बेहद शानदार बैटिंग की. भारत जिस परिस्थिति में था और जहां से उन दोनों ने टीम को सुरक्षित निकाला, वह काबिलेतारीफ था. मुझे नहीं लगता कि अपनी टीम को मुश्किल परिस्थिति से निकालने से ज्यादा संतोष की कोई बात हो सकती थी. चाहे वह शतक बनाकर नाबाद रहना हो या या 80-90 रन बनाकर नाबाद रहना. आप जानते हैं कि 10 या थोड़े ज्यादा रन से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था.’ स्टोक्स की यह सफाई एकदम बचकानी इसलिए कही जा सकती है कि जिसे वे 10 या थोड़े ज्यादा रन कह रहे हैं, उससे किसी खिलाड़ी का शतक बन रहा था. टेस्ट मैच के आखिरी दिन शतक बनाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि होती है. अगर यह किसी खिलाड़ी (सुंदर) का पहला शतक हो तब तो इसके मायने और बढ़ जाते हैं. जाहिर है बेन स्टोक्स ने भारतीय खिलाड़ियों से उनके शतक छीनने की चाल चली थी, जिसे जडेजा और सुंदर ने नाकाम कर दिया. मैच के बाद भारतीय कोच गौतम गंभीर ने भी जडेजा के फैसले को सही बताया और पूछा कि अगर इंग्लैंड के बैटर ऐसी स्थिति में होते तो वे क्या करते.

बेन स्टोक्स ने कहा कि जब यह तय हो गया कि मैच ड्रॉ होना है तो वे अपने गेंदबाजों के बारे में सोचने लगे. उन्हें लगा कि अब इस मैच में अपने मुख्य गेंदबाजों से गेंदबाजी कराने का कोई फायदा नहीं है. इसलिए वे उनसे गेंदबाजी करवाकर उन्हें जोखिम में नहीं डालना चाहते थे. बेन स्टोक्स ने आखिर में हैरी ब्रूक से गेंदबाजी कराई, जिसकी इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने आलोचना की है.

विजय प्रभात शुक्लाAssociate Editor

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय. अप्रैल 2020 से News18Hindi में बतौर एसोसिएट एडिटर स्पोर्ट्स की जिम्मेदारी. न्यूज18हिंदी से पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला अखबारों में पेज-1, खेल, देश-विदेश, इलेक्शन ड…और पढ़ें

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय. अप्रैल 2020 से News18Hindi में बतौर एसोसिएट एडिटर स्पोर्ट्स की जिम्मेदारी. न्यूज18हिंदी से पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला अखबारों में पेज-1, खेल, देश-विदेश, इलेक्शन ड… और पढ़ें

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