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Success Story: पेंटिंग ने डिप्रेशन से बाहर निकाला और NEET में सफलता दिलाई. छतरपुर की रचिता गुप्ता ने कोटा में अकेले रहकर तैयारी की और MBBS की राह पकड़ी. जानिए उनकी संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी.
रचिता बताती हैं कि उन्होंने अब तक कई पेंटिंग बनाई हैं. सातवीं कक्षा में बनाई गई राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की पेंटिंग आज भी उनके घर में संभालकर रखी गई है. उनकी कई पेंटिंग्स को सोशल मीडिया पर सराहना भी मिली है.
ग्यारहवीं कक्षा के बाद रचिता NEET की तैयारी के लिए राजस्थान के कोटा चली गईं. वहां उन्होंने दो साल तक कोचिंग की. कोटा में अकेले रहना उनके लिए आसान नहीं था. वह बताती हैं कि भले ही वह माता-पिता से फोन पर बात कर लेती थीं, लेकिन मन को तसल्ली नहीं मिलती थी. ऐसे समय में पेंटिंग ही उन्हें मानसिक राहत देती थी.
डिप्रेशन में पेंटिंग ने दिया संबल
तैयारी के दौरान रचिता को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उनके दादाजी का निधन हो गया. वह कोटा में थीं और यह खबर सुनकर गहरे सदमे में चली गईं. उन्होंने बताया कि वह अपने दादा जी के बेहद करीब थीं और उनका जाना उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत मुश्किल समय था. ऐसे वक्त में पेंटिंग ही उनके लिए थैरेपी बन गई. रंगों और ब्रश के ज़रिए वह अपने दुख को व्यक्त करती थीं.
रचिता ने NEET परीक्षा पास कर MBBS की पढ़ाई शुरू कर दी है. उनका कहना है कि पेंटिंग से उनका जुड़ाव अब भी उतना ही गहरा है और आगे भी रहेगा. वह चाहती हैं कि इस कला को बड़े स्तर पर पहुंचाएं और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ एक आर्ट प्लेटफॉर्म तैयार करें, जिससे उनकी पेंटिंग्स भी लोगों तक पहुंच सकें.