मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन (मंगलवार) बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनिस ने बहादरपुर सहकारी सूत मिल के श्रमिकों और कर्मचारियों के बकाया वेतन और ग्रेच्युटी का मुद्दा एक बार फिर उठाया। यह सूत मिल फरवरी 1998 में कांग्रेस शासनकाल में बंद
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चिटनिस ने श्रमिकों को राहत देने की समय सीमा तय करने की मांग की। उन्होंने कहा कि 25 साल से लंबित यह मामला श्रमिकों के जीवन और परिवारों पर भारी पड़ा है। अब तक लगभग 200 श्रमिकों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि बाकी आज भी अपने बकाया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सीएम ने कहा- शीघ्र समाधान करेंगे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आश्वासन दिया कि इस विषय पर शीघ्र बैठक कर समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की सभी बंद मिलों के श्रमिकों को ब्याज सहित उनका वाजिब हक दिलाया जाएगा।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के मंत्री चैतन्य कुमार कश्यप ने बताया कि बुरहानपुर कलेक्टर द्वारा गठित जिला स्तरीय समिति श्रमिकों की देनदारियों का आकलन कर रही है। अब तक 743 कर्मचारियों के पीएफ खाता नंबर मिल चुके हैं और श्रमिकों द्वारा प्रस्तुत देय राशि पत्रकों का परीक्षण किया जा रहा है।
प्रमाणित सूची न होने से गणना में देरी मंत्री ने स्पष्ट किया कि कार्यरत कर्मचारियों की प्रमाणित सूची उपलब्ध न होने से गणना में देरी हो रही है। इसके लिए वर्तमान परिसमापक ने पूर्व परिसमापक और क्षेत्रीय भविष्य निधि कार्यालय, इंदौर से प्रमाणित सूची मांगने हेतु 3 और 4 जुलाई 2025 को पत्र लिखे हैं।
अर्चना चिटनिस ने याद दिलाया कि उन्होंने दिसंबर 2024 में भी यह मामला विधानसभा में उठाया था, जिसके बाद जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया और दो बैठकों में कार्रवाई को गति देने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि 1999 में श्रमिकों की देनदारी 1.51 करोड़ रुपए थी, जो 31 मार्च 2024 तक ब्याज सहित बढ़कर 56.55 करोड़ रुपए हो चुकी है।
चिटनिस ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बहादरपुर सूत मिल को कार्यशील पूंजी के अभाव में फरवरी 1998 में बंद कर दिया था और इसके बाद संस्था को परिसमापन में ले लिया गया। वर्तमान में महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र, बुरहानपुर इस मिल के परिसमापक हैं।