मजदूर नहीं तो क्या, अब बटन दबाते ही हो जाएगी 60 एकड़ खेत की सिंचाई, इस किसान ने अपनाया महाराष्ट्र का जुगाड़

मजदूर नहीं तो क्या, अब बटन दबाते ही हो जाएगी 60 एकड़ खेत की सिंचाई, इस किसान ने अपनाया महाराष्ट्र का जुगाड़


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Agriculture News in Hindi: बुरहानपुर के किसान विट्ठल नारायण पाटिल ने मजदूरों की कमी को ध्यान में रखते हुए ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम लगाया है. बटन दबाते ही 60 एकड़ खेत में पानी और लिक्विड खाद पहुंच जाता है.

हाइलाइट्स

  • ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम लगाया
  • बटन दबाते ही 60 एकड़ खेत में पानी
  • 40 लाख रुपए की इस टेक्नोलॉजी से खेती
बुरहानपुर. खेती किसानी करने के लिए किसानों को सबसे अधिक आवश्यकता मजदूरों की होती है, लेकिन आज आधुनिक युग में मजदूरों का मिलना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में अब किसान भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की ओर अपना रुझान दिखाते हुए अपनी कृषि को खेती को आसानी से किस तरह से कर सकते हैं. इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के दापोरा के किसान विट्ठल नारायण पाटिल ने भी मजदूर नहीं मिलने की समस्या से परेशान थे. उन्होंने एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम अपने खेत में लगाया है, जो बटन दबाते ही 60 एकड़ में पानी पहुंचा देता है. जिससे किसान के समय की बचत के साथ-साथ उसकी मजदूरी भी बच रही है. किसान का कहना है कि यह टेक्नोलॉजी हमने महाराष्ट्र में देखी थी. उसके बाद हमारे यहां पर भी हमने यह टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. आज हम बटन दबाते ही 60 एकड़ में तुरंत पानी पहुंचा देते हैं और खाद भी इसी सिस्टम से पौधों तक पहुंचा रहे हैं, जिससे हमारे समय की भी बचत हो रही है और हमें कोई अधिक मजदूरी भी नहीं देना पड़ती है. किसान के इस सिस्टम को देखने के लिए अब अन्य राज्यों से भी किसान आ रहे हैं. किसान का कहना है कि मैं अकेला कपास, मक्का, ज्वार ऐसी फसले लगाता हूं, जिससे हमको अच्छा मुनाफा भी होता है.

किसान ने दी जानकारी 
लोकल 18 की टीम ने जब किसान विट्ठल नारायण पाटिल से बात की, तो उन्होंने बताया कि जब खेतों में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल पाते थे. काफी समस्या जाता थी. मैंने ऑटोमेटिक सिस्टम प्लांट लगवाया एक बटन क्लिक करते ही 60 एकड़ में पानी पहुंच जाता है. कम समय भी लगता है और समय की बचत के साथ-साथ राशि की भी बचत होती है. खेतों में पानी छोड़ने के लिए, जो भी मजदूर रखे जाते हैं. उनको 400 से ₹500 रोज देना पड़ते हैं. लेकिन इससे मेरी बचत हो रही है अन्य किसान भी मेरे यहां पर यह प्रोजेक्ट देखने के लिए आ रहे हैं. मैं आगे और प्रोजेक्ट बढ़ाने की तैयारी कर रहा हूं.

ऑटोमेटिक मोटर से ही छोड़ते हैं 
किसान विट्ठल नारायण पाटिल का कहना है कि अभी लिक्विड रूप में भी खाद आती है. उसको हम इसी ऑटोमेटिक प्लांट के माध्यम से छोड़ते हैं. समय सेट कर दिया जाता है और उसमें यह खाद डाल दी जाती है. उसको एक टंकी में तैयार कर कर हम पौधों तक पहुंचाते हैं. जिससे हमारे समय और पैसे दोनों की बचत होती है. इस प्लांट को लगाने के लिए किसान को 40 लाख रुपए लगे हैं.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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