मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने उद्बोधन दिया।
जैन संत 108 मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने भोपाल में ‘नारी-साधना और सेवा का स्वरूप’ पर उद्बोधन दिया।
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उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि नारी सशक्त बने, लेकिन सशक्तिकरण के नाम पर भटकाव नहीं होना चाहिए। नारी को पुरुष बनने की आवश्यकता नहीं है। वह जिस भूमिका में है, उसी में श्रेष्ठ है।
उन्होंने कहा कि कन्या, पत्नी, जननी, भार्या और कुटुंबिनी की भूमिका में नारी ने हमेशा खुद को सिद्ध किया है। उसे अपनी मौलिकता को अक्षुण्ण रखना चाहिए। यदि नारी संयम, श्रद्धा और विवेक के साथ आगे बढ़े तो वह समाज को नई दिशा देने वाली शक्ति बन सकती है।
विद्यासागर इंस्टीट्यूट के श्री विद्याप्रमाण गुरुकुलम् में सकल जैन समाज और अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला परिषद ने महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य नवयुवतियों और महिलाओं को उनके सामाजिक व पारिवारिक उत्तरदायित्वों के प्रति सजग बनाना था।
कार्यक्रम में हजारों की संख्या में महिला मंडल शामिल हुए। पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाओं की उपस्थिति ने गुरुकुल परिसर को आध्यात्मिक उत्सव स्थल में तब्दील कर दिया।
कार्यक्रम की खास बातें
- कार्यक्रम की शुरुआत साकेत नगर आस्था महिला मंडल द्वारा भव्य बैंड, जयघोष एवं नृत्य से हुई।
- जीतो महिला विंग द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।
- गुरुकुल छात्राओं ने स्वागत संकीर्तन प्रस्तुत किया।
- महिला मंडलों की शोभायात्रा, पारंपरिक भजन-गीतों की प्रस्तुतियां, लघु नाटिका और वक्तव्य प्रतियोगिता भी आकर्षण का केंद्र बनीं।
- “मैं अपने घर को धर्ममय बनाऊंगी” – इस संकल्प के साथ हजारों महिलाओं ने धर्मशील जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली।
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अनेक पारंपरिक परिधानों में पहुंची महिलाएं।

जैन संत 108 मुनि श्री प्रमाणसागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में संपन्न हुआ।

पारंपरिक वेशभूषा में पहुंची महिलाएं।

“मैं अपने घर को धर्ममय बनाऊंगी” – इस संकल्प के साथ हजारों महिलाओं ने धर्मशील जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली।

बड़ी संख्या में पहुंची महिलाएं।