राजगढ़ में धरती से प्रकट स्वयंभू को 56 भोग: सावन के आखिरी सोमवार गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु – rajgarh (MP) News

राजगढ़ में धरती से प्रकट स्वयंभू को 56 भोग:  सावन के आखिरी सोमवार गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु – rajgarh (MP) News


राजगढ़ जिले के माचलपुर में स्थित प्राचीन गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में सावन के अंतिम सोमवार को शिवभक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। इस दिन गुप्तेश्वर महादेव ने उज्जैन के बाबा महाकाल के स्वरूप में दर्शन दिए। मंदिर परिसर को फूलों से सजाया गया। महाकाल

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शाम छह बजे से शुरू हुए दर्शन देर रात तक चलते रहे। भक्तों ने 56 प्रकार के भोग अर्पित किए। महाआरती में शामिल होकर भक्तों ने अलौकिक अनुभव महसूस किया।

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास रहस्यों से भरा है। कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है। किसी ने इसे स्थापित नहीं किया। यह धरती की गोद से स्वयं प्रकट हुआ। लगभग सात से आठ पीढ़ी पहले माचलपुर के जागीरदार ठाकुर प्रेम सिंह के खेत में जब भी हल चलाया जाता, वह बार-बार रुक जाता या टूट जाता था।

एक रात ठाकुर प्रेम सिंह को स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन दिए। उन्होंने कहा कि जहां हल रुकता है, वहीं मैं गुप्त रूप से विद्यमान हूं। अगली सुबह ग्रामीणों के साथ खुदाई करने पर शिवलिंग दिखाई दिया।

आश्चर्य यह हुआ कि जितना उसे बाहर निकालने का प्रयास किया गया, वह उतना ही नीचे धंसता गया। इसे दिव्य संकेत मानकर वहीं मंदिर का निर्माण किया गया। तभी से यह धाम “गुप्तेश्वर महादेव” नाम से प्रसिद्ध है।

सावन के अंतिम सोमवार पर इस बार गुप्तेश्वर महादेव का श्रृंगार उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर किया गया। बाबा का दरबार चांदी के मुकुट, भस्म और तिलक से सुसज्जित हुआ। पूरा मंदिर परिसर फूलों से ढका रहा। सैकड़ों दीपों की रौशनी में शिवालय अत्यंत सुंदर नजर आया।



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