सोनीपत के साहिल ने थाईलैंड में पहलवान को पटका: जॉइंट इंजरी के बाद भी विदेश में जीता गोल्ड मैडल; घर लौटने पर स्वागत – Sonipat News

सोनीपत के साहिल ने थाईलैंड में पहलवान को पटका:  जॉइंट इंजरी के बाद भी विदेश में जीता गोल्ड मैडल; घर लौटने पर स्वागत – Sonipat News


स्वागत के दौरान साहिल और प्रवीण

थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में सोनीपत के गांव रेवली निवासी साहिल डागर ने गोल्ड मेडल जीतकर देश और जिले का नाम रोशन किया है। वहीं सोनीपत के ही गांव सिटावली के प्रवीण ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया है।सोनीपत पहुंचने पर स्वागत किया गया

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साधारण किसान परिवार से निकलकर बना चैंपियन साहिल डागर का परिवार साधारण किसान पृष्ठभूमि से है। उनके पिता को खुद पहलवानी का शौक था, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वे इस खेल में आगे नहीं बढ़ सके। उन्होंने अपने दोनों बेटों को अखाड़े में लाने का प्रयास किया, मगर बड़े बेटे को परिस्थितियों के कारण पीछे हटना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने छोटे बेटे साहिल को पूरा समर्थन दिया और साहिल ने अखाड़े में मेहनत कर खुद को साबित किया।

साहिल ने थाइलैंड में गोल्ड मेडल जीता है

थाईलैंड में मिट्टी के दंगल में जीता गोल्ड थाईलैंड में हर वर्ष भारतीय मूल के लोग इंटरनेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप का आयोजन करते हैं। इस बार इस प्रतियोगिता में भारत और थाईलैंड के करीब 65 पहलवानों ने भाग लिया। भारत से 30 पहलवानों ने शिरकत की, जिनमें हरियाणा के सोनीपत जिले से साहिल डागर और प्रवीण भी शामिल हुए। साहिल ने ओपन कुश्ती वर्ग में गोल्ड मेडल जीता जबकि प्रवीण ने सिल्वर पदक हासिल किया।

एक अन्य प्रतियोगिता में जीत दर्ज करने के दौरान साहिल

एक अन्य प्रतियोगिता में जीत दर्ज करने के दौरान साहिल

100 से ज्यादा दंगल में भागीदारी कर चुका है साहिल साहिल डागर ने साल 2020 से पहलवानी की शुरुआत की थी और वह कलीराम अखाड़े में नियमित अभ्यास करता है। वह अब तक हरियाणा, यूपी और महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में 100 से ज्यादा दंगल लड़ चुका है और कई मुकाबले जीत भी चुका है। मिट्टी के दंगलों में उसकी पकड़ मजबूत रही है।

साहिल 100 से ज्यादा दंगल प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुका है

साहिल 100 से ज्यादा दंगल प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुका है

जॉइंट इंजरी के बावजूद दिखाया जज़्बा एक बार गांव पुरखास के एक दंगल के दौरान साहिल को कमर में जॉइंट इंजरी हो गई थी। इसके बावजूद उसने हार नहीं मानी और थाईलैंड में जाकर शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। यह उसकी मजबूत इच्छाशक्ति और मेहनत का परिणाम है।

दंगल में जीत दर्ज करने के दौरान साहिल डागर

दंगल में जीत दर्ज करने के दौरान साहिल डागर

लॉकडाउन में पिता ने निभाई थी बड़ी भूमिका कोरोना लॉकडाउन के दौरान साहिल के पिता ने उसके खानपान का विशेष ध्यान रखा। वे कई किलोमीटर दूर जाकर साहिल के लिए सुबह-शाम दूध लेकर आते थे ताकि उसके शरीर की ताकत बनी रहे। साहिल ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी कर चुका है और खेल के प्रति उसकी निष्ठा उसे आगे ले जा रही है।



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