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5000 Years Old Wheat: हड़प्प काल में किसान खास तरह का गेहूं उगाते थे, जो आज के गेहूं की तरह नहीं होता था. उसकी चमक सोने जैसे थी, दाने गोल थे. वही, गेहूं सागर में किसान उगा रहा है. जानें सब…
हाइलाइट्स
- सोना मोती गेहूं डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद है
- सागर में सोना मोती गेहूं की खेती 70 एकड़ में हो रही है
- सोना मोती गेहूं की कीमत 7000 रुपये प्रति क्विंटल है
जैसा नाम वैसा काम
डायबिटीज मरीजों को सबसे पहले सामान्य गेहूं को बहुत कम खाने या पूरी तरह से बंद करने की सलाह दी जाती है, लेकिन बचपन से जिस गेहूं को खाते आ रहे हैं, वह आसानी से छूटता नहीं है. यूं कहे कि हमारी भूख ही शांत नहीं होती है. वहीं, मध्य प्रदेश में कभी 50 से अधिक वैरायटी के गेहूं उगाए जाते थे. इसमें से एक हड़प्पा कालीन गेहूं है. यह छोटा और गोल आकार का होता है. इसके दाने चमकदार होते हैं, जिसकी वजह से मोतियों जैसा दिखता है. इस गेहूं के गुण सोने के जैसे होते हैं, इसलिए इसे ‘सोना मोती’ गेहूं कहा जाता है.
सागर में 8 साल से हड़प्पा कालीन गेहूं की प्राकृतिक तरीके से 70 एकड़ में खेती हो रही है. इसको उगाने वाले किसान कपिल मलैया बताते हैं कि अपने गुण की वजह से बाजार में इसकी कीमत 14,000 से लेकर 30,000 रुपये क्विंटल तक है. लेकिन, सागर में वह केवल 7000 रुपए प्रति क्विंटल में दे रहे हैं, ताकि लोग इसको खाकर स्वस्थ रहें, जो लोग सामान्य गेहूं खाते हैं और काजू बादाम में विश्वास रखते हैं, वैसे लोग काजू बादाम खाना भले ही काम कर दें, लेकिन ‘सोना मोती’ जैसे गेहूं को खाना शुरू करें तो यह उससे ज्यादा फायदेमंद होगा.
इसलिए फायदेमंद सोना मोती गेहूं
सोना मोती वैरायटी के गेहूं में ग्लूटेन की मात्रा बहुत कम है, इसलिए यह डायबिटीक लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है. इसमें अन्य अनाज से तीन गुना अधिक फोलिक एसिड है. अन्य सामान्य गेंहू से 40% ज्यादा प्रोटीन और 267% ज्यादा खनिज है. विशेषज्ञों के मुताबिक, फोलिक एसिड हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है. इससे हमारे पेट संबंधी दिक्कतें कम होती हैं. कब्ज, जीमिचलाने और दस्त जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए फोलिक एसिड काफी मददगार होता हैं.