ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक आरक्षक को बर्खास्त करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना जांच के बड़ी सजा नहीं दी जा सकती। हालांकि, कोर्ट ने विभाग को विभागीय जांच करके फैसला लेने की स्वतंत्रता दी है।
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मामला 2013 का है। शैलेंद्र सिंह गुर्जर का आरक्षक पद पर चयन हुआ था। विभाग में शामिल होने के बाद उनके फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इसके बाद जबलपुर में उनके खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया गया। पुलिस ने 5 जुलाई 2023 को शैलेंद्र को गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि शैलेंद्र सिंह ने आरक्षक भर्ती के दौरान फर्जी डाक्यूमेंट लगाए थे।
2023 में किया था आरक्षक पद से बर्खास्त
31 जुलाई 2023 को जबलपुर के जिला न्यायालय से शैलेंद्र को जमानत मिल गई थी। इसी बीच उन्हें आरक्षक पद से बर्खास्त कर दिया गया। इस बर्खास्तगी के खिलाफ शैलेंद्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीपी सिंह ने कोर्ट में तर्क दिया कि शैलेंद्र सिंह गुर्जर पर अभी तक अपराध साबित नहीं हुआ है और न ही वह दोषी करार दिए गए हैं। इसके बावजूद उन्हें बिना जांच के पद से बर्खास्त कर दिया गया, जो सेवा नियमों का उल्लंघन है।