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ये कहते हुए रेहाना रोने लगती है। आगे कहती है- आज 11 साल बाद अपने मकान की दहलीज तक आ सकी हूं, वर्ना मुझे यहां तक आने भी नहीं देते थे। दरअसल, रेहाना भोपाल के ‘मछली परिवार’ की सताई हुई है, जो इस समय ड्रग्स, लव जिहाद के आरोपों से घिरा हुआ है। हथाईखेड़ा डैम के पास अनंतपुरा में प्रशासन ने मछली परिवार का अवैध अतिक्रमण हटाया है।
इससे कुछ ही दूरी पर रेहाना और उसके पति अनीस का मकान है। दोनों का आरोप है कि 11 साल पहले मछली परिवार के सदस्य शाहिद ने उन्हें घर से बाहर निकालकर इस पर अवैध कब्जा कर लिया था, क्योंकि उन्होंने गैरकानूनी काम करने से मना कर दिया था। रेहाना और अनीस की तरह मुनव्वर भी है जो मछली परिवार का सताया हुआ है।
मछली परिवार के सदस्य अनीस और शाहवर की गिरफ्तारी के बाद अब धीरे-धीरे पीड़ित लोग सामने आ रहे हैं। भास्कर ने अनंतपुरा पहुंचकर इन पीड़ितों से बात की। ये समझा कि आखिर इन्हें कौन से गैरकानूनी काम करने के लिए कहा गया था और इतने सालों तक मछली परिवार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। पढ़िए रिपोर्ट
जिला प्रशासन ने 30 जुलाई को हताईखेड़ा स्थित मछली परिवार के 6 अवैध निर्माण पर कार्रवाई की थी।
जानिए क्या है अनीस- रेहाना की कहानी
हथाईखेड़ा डैम के पास अनंतपुरा में मछली परिवार ने 55 सालों में अपना साम्राज्य कायम किया, लेकिन बहुत से लोगों को सताया भी। उन्हीं के सताए लोगों में से एक हैं अनीस और रेहाना। भास्कर ने उनसे निजामुद्दीन कॉलोनी स्थिति उनके घर जाकर मुलाकात की। अनीस ने बताया कि अनंतपुरा की गली नंबर 2 में उनका मकान था।
30 साल पहले जब यहां पत्थर की खदान शुरू थी और मछली परिवार पत्थर खोदकर उन्हें बेचता था, तब मैं अनंतपुरा रहने पहुंचा था। मैंने वहां अपना एक मकान बनाया। उसी मकान में मेरे बच्चे हुए और मेरा कबाड़ी के बिजनेस की भी वहीं से शुरुआत हुई थी। अनीस ने कहा कि आप चाहे तो मैं अपना मकान दिखा सकता हूं। भास्कर की टीम अनीस के साथ उस मकान पर पहुंची।

11 साल बाद रेहाना और अनीस अपने मकान पर पहुंचे।
गली में सन्नाटा पसरा हुआ, सभी मकानों पर ताले पड़े
जिस गली नंबर 2 में अनीस का मकान है वहां मछली परिवार के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद सन्नाटा पसरा हुआ है। इस गली में अनीस के घर के अलावा 8-10 मकान और है। सभी मकानों पर ताले पड़े हुए हैं। अनीस ने बताया कि ये सभी मकान मछली परिवार के पाले हुए गुर्गों के हैं।
इस इलाके में उन्होंने अपने उन साथियों को जगह दी थी, जो हर तरह के गैरकानूनी कामों में उनकी मदद करते हैं। मछली परिवार के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद ये लोग भी यहां से फरार हो गए हैं।

गली नंबर 2 के ज्यादातर मकानों पर ताला लगा है।
मुझे दिल्ली तक सामान पहुंचाने का काम सौंपा
अनीस से पूछा कि आखिर उन्हें मकान से बेदखल क्यों किया तो उन्होंने बताया- मैं अपने कबाड़ के काम के सिलसिले में दिल्ली आता-जाता था। ये 2014 की बात है शरीफ के बेटे शाहिद मुझे अक्सर अपने पास बुलाने लगे, हर बार बहुत अच्छे से बात करते। एक बार शाहिद ने बुलाया और कहा कि आपसे मुझे काम है, मेरा कुछ सामान दिल्ली भेजना है। मैंने कहा- हां ले जाउंगा।
उन्होंने कहा यदि ये सामान आप ले गए तो आपकी गरीबी दूर हो जाएगी। मैंने यूं ही बात को टाल दिया। कुछ दिनों बाद शाहिद ने मुझे ऑफिस बुलाया। उन्होंने मोबाइल पर दिल्ली की जामा मस्जिद का वीडियो दिखाया और कहा कि ईद वाले दिन मस्जिद के पास एक गाड़ी खड़ी होगी। आपको गाड़ी पर चढ़कर दूसरी ओर कूदकर सामान देना है।

मुझे बम पहुंचाने को कहा, मैंने मना कर दिया
शाहिद ने पेटी को खोलकर बंद कर दिया और कहा – हम जिस फ्लैट में हैं उसकी कीमत 18 लाख रुपए हैं। काम पूरा होने पर ये फ्लैट तुम्हारा होगा और 20 लाख रु. नकद देंगे। मैंने परेशान होकर पूछा कि काम बताइए। इसके बाद शाहिद ने एक और सूटकेस खोला। उसमें पट्टे से बंधे हुए तीन बम रखे हुए थे।
अनीस कहते हैं- बम देखते ही मेरे हाथ पैर सुन्न हो गए थे। मुझे लगा कि कहीं ये अभी न फट जाए। मैंने शाहिद को साफ मना कर दिया। मैंने कहा- शाहिद भाई, मुझे माफ करो, मैं इसे नहीं ले जा सकूंगा। मैं वापस जाने लगा। मुझे लगा कि मामला खत्म हो गया, मगर मुझे पता नहीं था कि यहीं से मेरे बुरे दिनों की शुरुआत होने वाली थी।

अनंतपुरा में मछली परिवार का कोठी। यहां शरीफ अहमद के भाई-बच्चों के परिवार रहते हैं।
थाने में किसी ने शाहिद के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिखी
अनीस बताते हैं कि मेरे इनकार करने के बाद शाहिद ने अपने लड़कों को बोला- इसे जाने मत देना यह भंडाफोड़ देगा। वह गुस्से में नीचे उतरा वहां शेरू खड़ा था। मैं डरकर वहीं फर्श पर बैठ गया। लड़के पास ही खड़े थे। अपनी जान बचाने के लिए मैंने अचानक दौड़ लगा दी और नजदीक की एक मस्जिद में घुस गया। वहां पहले से काफी लोग थे, ये देखकर शाहिद और उसके लड़के यहां-वहां हो गए।
बहुत देर तक मैं मस्जिद में छुपा रहा। यहां से सीधे बिलखिरिया थाने पहुंचा। वहां इंदर सिंह नाम के पुलिस वाले को सारी बातें बताईं। उसने शाहिद को ही फोन लगा दिया। शाहिद ने पुलिसवाले से कहा कि उसे थाने पर रोक कर रखो, मैं आता हूं। मैं थाने में बैठा हुआ था, तभी पास बैठे पुलिस वाले ने इशारे में मुझसे कहा कि तुम भाग जाओ, वो लोग तुम्हें मार देंगे। मैं वहां से भाग निकला।

अनीस ने पुलिस को कई बार शिकायतें की। ये 18 मई 2019 को एसपी को दिया आवेदन पत्र है।
दिल्ली में जाकर शिकायत दर्ज कराई अनीस ने बताया कि थाने से भागकर मैं वापस अनंतपुरा अपने घर के लिए निकला तो रास्ते में हथाईखेड़ा की दरगाह के पास बैठे कुछ लड़कों ने मुझ पर फायर किया। मैं बच गया और घर न जाकर दिल्ली गया। वहां तीस हजारी कोर्ट में एक वकील के जरिए आवेदन तैयार किए और भोपाल में पुलिस अधिकारियों को फैक्स किए। कुछ दिनों तक दिल्ली रहने के बाद वापस भोपाल लौटा।
घर से निकाला, बेटियों का दहेज छीना अनीस कहते हैं कि वापस लौटने के बाद मछली परिवार ने मुझ पर सीधा हमला तो नहीं किया, लेकिन शिकायत वापस लेने के लिए धमकियां देते रहे। जनवरी 2020 को जब हम बेटी की शादी की तैयारियों के सिलसिले में घर से बाहर गए हुए थे, तब कुछ लड़कों ने हमारे घर पर हमला कर दिया। मकान का ताला तोड़कर घर का सारा सामान ले गए। घर में बेटी की दहेज रखा सामान निकाल ले गए।

ठंड में नीचे सोए, पड़ोसियों ने की मदद रेहाना बताती हैं कि बिना किसी सामान के हम लोग निजामुद्दीन कॉलोनी रहने पहुंचे। यहां पड़ोसियों को पता चला कि हमारे पास सामान तक नहीं है। ठंड में हम लोग जमीन पर सो रहे हैं, तो पड़ोसियों ने मदद की। पति ने जमा-जमाया काम छोड़कर सब्जी का ठेला लगाना शुरू किया। यहां भी मछली परिवार ने पीछा नहीं छोड़ा। पति पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए।
मेरे पति को जेल भी हुई। जेल से बाहर आते तो दूसरे मामले में जेल पहुंचा देते। मैं थाने पर शिकायत करने जाती तो पुलिस वाले कहते मछली परिवार का नाम क्यों लिखा है? जिन्होंने मकान पर कब्जा किया है उनके नाम लिखो। मैं उन्हें बताती कि मकान पर किसने कब्जा किया ये मुझे ही नहीं पता। सारे लोग मछली परिवार के ही है। आज ऊपर वाले का न्याय हो रहा है। मेरा मकान छीना अब ये लोग भाग रहे हैं।

अनीस और रेहाना को पुराने मकान पर पड़ोसन जुलेखा मिली। जुलेखा ने भी कहा कि मछली परिवार ने ही इनके मकान पर कब्जा किया हुआ था।
जुलेखा के बेटे को जय श्री राम बोलने पर पीटा इसी मोहल्ले में हमें मिली बुजुर्ग जुलेखा जिन्होंने बताया कि, ‘मेरे बेटे मुनव्वर ने सोशल मीडिया पर शर्मा जी को जयश्री राम लिखा मैसेज भेजा, इसके बाद मछली परिवार के कई लोग हमारे घर में घुसे और कहा कि यह हिंदू बन गया है।’ उन्होंने हम सबको मारा और कहा- सुबह तक मकान खाली कर देना नहीं तो हम पहले तुझे काटेंगे फिर तेरे पूरे परिवार को काट देंगे।
रा बेटा भागकर नेताओं के पास गया, उन्होंने मदद की। पुलिस में शिकायत भी हुई। इसके बाद भी धमकियों का सिलसिला नहीं रूका। यहां हम लोग डर-डरकर रहते हैं। हम ही नहीं बल्कि यहां जो लोग रहते हैं वो सभी डरते हैं।

परिवार का विरोध किया तो ड्रग्स के केस में फंसा
कोकता में रहने वाले हामिद खान बताते हैं कि इस इलाके में मछली परिवार का आतंक चलता है। वो सारे उल्टे-सीधे काम करते हैं। लोगों को मारना-पीटना, उन्हें प्रताड़ित करना। जो इनका विरोध करता है उन लोगों के साथ मारपीट करते हैं उन्हें प्रताड़ित करते हैं। मैं इनके गलत कामों का समर्थक नहीं रहा। इन्होंने मुझे ड्रग का झूठा केस लाद दिया।
हामिद ने बताया कि मैंने इन्हें हथाईखेड़ा डैम पर बच्चों को कपड़े उतारकर उन्हें मारते पीटते देखा था। इन्हें लगा कि मैं इसकी शिकायत करूंगा। एक दिन मैं गाड़ी से खेत गया था। वापस लौटते समय पुलिस ने मुझे रोका और कहा कि मैं ड्रग की सप्लाई कर रहा हूं। मेरे डीजल टैंक के नीचे एक पुड़िया निकली। इसके चलते मुझे जेल भी रहना पड़ा और काफी पैसा भी खर्च हुआ।
