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Indrahar Recipe: मध्यप्रदेश के बघेलखंड छेत्र में बनने वाला इंद्रहार सिर्फ एक व्यंजन नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत है. चार दालों से बनी यह डिश न सिर्फ स्वाद और सेहत से भरपूर है बल्कि इसे देवों के राजा इंद्र का…और पढ़ें
सतना: भारत विविधताओं का देश है और इसका खानपान भी उतना ही समृद्ध और पारंपरिक है. हर क्षेत्र की अपनी विशिष्ट व्यंजन परंपरा होती है लेकिन मध्यप्रदेश के बघेलखंड अंचल का इंद्रहार ऐसा व्यंजन है, जो स्वाद, परंपरा और श्रद्धा तीनो का संगम है. इसे स्थानीय लोग देवों के राजा इंद्र का प्रिय भोजन भी बताते हैं है, जिसके चलते इसका नाम भी इंद्र के आहार के आधार पर इंद्रहार पड़ा जिसे बघेलखंडी बोली में इंद्रहर कहते है.
कई दालों से बनता है इंद्रों का आहार
लोकल 18 को जानकारी देते हुए सतना की स्थानीय महिला मीणा द्विवेदी ने बताया कि इंद्रहार को बनाने में मुख्य रूप से मूंग, उड़द, मसूर और चना की दाल का उपयोग होता है. इन सभी दालों को एक दिन पहले पानी में भिगोकर रखा जाता है फिर इन्हें पीसकर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार किया जाता है. इस पेस्ट में डोडा, काली मिर्च, नमक, हींग और चैली पत्ता जैसे देसी मसाले को पीसकर इसमें मिलने से इसका स्वाद और अधिक बढ़ जाता है.
भाप में पकने वाला पारंपरिक पकवान
एक बड़े भगोने में पानी भर के और उसके ऊपर छलनी या थाली में तेल लगाकर दाल का पेस्ट फैलाया जाता है. इसे भाप में करीब 10-15 मिनट तक पकाया जाता है. पकने के बाद इसे मनचाहे आकार में काटा जाता है. यह डिश बिना तले भी खाई जाती है लेकिन कई लोग इसे कुरकुरा तलकर, टमाटर या दही की चटनी के साथ भी पसंद करते हैं.
त्योहारों पर बनने वाला विशेष व्यंजन
इंद्रहार सिर्फ स्वाद में ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी खास है. इसे पारंपरिक पर्व-त्योहारों और धार्मिक आयोजनों में विशेष रूप से बनाया जाता है. यह व्यंजन अब देशभर में लोकप्रिय हो रहा है. वहीं कई लोग इसकी कढ़ी और सब्ज़ी भी बनाकर इसे मुख्य भोजन के रूप में परोसते हैं.
अगर आप कुछ देसी, हेल्दी और पारंपरिक खाना ट्राय करना चाहते हैं, तो इंद्रहार आपके लिए एक परफेक्ट विकल्प हो सकता है. यह न केवल स्वाद में भरपूर है बल्कि आपके खानपान में संस्कृति की झलक भी लाता है.