Satna: कलेक्टर साहब छोड़ बैठे सरकारी गाड़ी, साइकिल से ऑफिस पहुंचे, सब चौंके…

Satna: कलेक्टर साहब छोड़ बैठे सरकारी गाड़ी, साइकिल से ऑफिस पहुंचे, सब चौंके…


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Satna News: रीवा कमिश्नर का नया आदेश खूब चर्चा में हैं जिसका पालन करते हुए सतना कलेक्टर और अन्य अफसर मंगलवार साइकिल से ऑफिस पहुंचे.आदेश का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, ईंधन बचत और फिटनेस को बढ़ावा देना है. महिला …और पढ़ें

सतना: रीवा संभाग से एक अजब-ग़ज़ब आदेश सामने आया है जिसने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है. रीवा कमिश्नर बीएस जामोद ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब हर मंगलवार अधिकारी और कर्मचारी साइकिल से ऑफिस पहुंचेंगे. इस आदेश का सीधा उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, ईंधन की बचत और फिटनेस को बढ़ावा देना. आदेश के लागू होते ही सतना समेत रीवा, सीधी,सिंगरौली और मऊगंज जिलों के अफसरों ने भी इसे गंभीरता से अपनाया है.

कलेक्टर से लेकर तहसीलदार तक पहुंचे पैडल मारते
सतना में मंगलवार की सुबह कुछ अलग ही नज़ारा देखने को मिला. आमतौर पर गाड़ियों के काफिले में दिखने वाले कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार पैडल मारते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में दाखिल हुए. सतना कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस, एसडीएम सिटी राहुल सलाडिया और तहसीलदार रघुराज नगर सौरभ मिश्रा ने इस आदेश को न सिर्फ स्वीकारा बल्कि एक उदाहरण भी पेश किया. कलेक्टर साहब ने अपने बंगले से संयुक्त कलेक्ट्रेट तक की लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी साइकिल से 23 मिनट में तय की.

महिलाओं को मिला विकल्प, पर संदेश एक—साइकिल चलाएं, पर्यावरण बचाएं
आदेश में महिला कर्मचारियों के लिए छूट दी गई है. वे ई-स्कूटी या सार्वजनिक परिवहन का सहारा ले सकती हैं लेकिन पुरुष अधिकारियों और कर्मचारियों को निजी या शासकीय पेट्रोल-डीजल वाहनों का उपयोग न करने का निर्देश दिया गया है. हालांकि आदेश पूरी तरह स्वैच्छिक है लेकिन इसका उद्देश्य स्पष्ट है की हर मंगलवार को ट्यूसडे-बायसाइकिल डे के रूप में मनाया जाए और इसे सिर्फ दिखावे की बजाय व्यवहार में लाया जाए.

कलेक्टर बोले – फिटनेस भी, पर्यावरण भी
लोकल 18 से विशेष बातचीत में सतना कलेक्टर सतीश कुमार एस ने कहा की कमिश्नर साहब ने बहुत अच्छा इनिशिएटिव शुरू किया है. हमने भी इसमें भाग लिया और साइकिल से ऑफिस पहुंचे. मुझे इसमें दो बातें खास लगीं, एक तो पर्यावरण के लिए बेहतर है और दूसरा यह फिटनेस को भी बढ़ावा देता है. उन्होंने आगे कहा कि प्रयास रहेगा कि आने वाले समय में हर मंगलवार को साइकिल से ऑफिस आने की परंपरा को बनाए रखें.

गाड़ियों से दूर, सेहत के पास—आदत बदली तो शहर बदलेगा
इस पहल का असर केवल अफसरों तक सीमित नहीं रहेगा. यह जनता के बीच भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है. जब अफसर खुद साइकिल चला कर ऑफिस पहुंचेंगे तो समाज को भी यह संदेश मिलेगा कि छोटी पहलें बड़ा बदलाव ला सकती हैं. प्रदूषण कम होगा, ध्वनि प्रदूषण घटेगा और पेट्रोल-डीजल की खपत में कमी आएगी. साथ ही अफसरों के बीच तालमेल बेहतर होगा क्योंकि क्षेत्रीय भ्रमण के लिए अब पूल गाड़ी की सलाह दी गई है, जिससे एक ही वाहन में दो-तीन अधिकारी एक साथ जा सकेंगे.

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