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चिट्ठी में लिखी इस इबारत को पढ़ने के बाद संघमित्रा खुद को संभाल नहीं पाती और भाई की याद में रोने लगती है। वह पिछले 4 साल से अपने भाई को वापस भारत लाने की कोशिशें कर रही है। भारत सरकार को कई बार चिट्ठी लिख चुकी है लेकिन अभी तक उसे कोई कामयाबी नहीं मिली है।
दरअसल, बालाघाट के खैरलांजी में रहने वाला संघमित्रा का भाई प्रसन्नजीत 2018 में अचानक लापता हो गया था। परिवार ने उसके जिंदा होने की आस छोड़ दी थी। साल 2021 में परिवार को पता चला कि वह लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है। वह पाकिस्तान कैसे पहुंचा? ये परिवार को भी नहीं पता।
बहरहाल, जब से उसके जिंदा होने की बात पता चली है, संघमित्रा उसे हर साल चिट्ठी लिखती हैं। इस बार उसने राखी भी भेजने की कोशिश की, लेकिन पोस्ट ऑफिस ने पाकिस्तान राखी भेजने से मना कर दिया। भास्कर ने बालाघाट से 70 किमी दूर महकेपार जाकर संघमित्रा से जाकर मुलाकात की। उससे पूछा कि आखिर कैसे उसे भाई के बारे में पता चला? उसे वापस लाने के लिए क्या प्रयास किए? पढ़िए रिपोर्ट…
बहन बोली- पता नहीं उसका क्या होगा? भास्कर जब संघमित्रा से मिलने उसके घर पहुंचा तो उस वक्त वह अपने भाई को याद करते हुए उसके लिए एक चिट्ठी लिख रही थी। पूछने पर वह भावुक हो गईं। बोलीं- पता नहीं उसका क्या होगा? इतने सालों से पाकिस्तान की जेल में है, हमें तो 2021 में खबर लगी कि वो जिंदा है।
संघमित्रा ने कहा- मैं तो दसवीं तक पढ़ी हूं, लेकिन मेरे इकलौते भाई को पिता ने बैचलर ऑफ फार्मेसी की पढ़ाई करने जबलपुर के खालसा कॉलेज भेजा था। इसके लिए उन्होंने मेहनत-मजदूरी में कसर नहीं छोड़ी थी। उसने पढ़ाई पूरी की और 2011 में उसका फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी हो गया।
उसके बाद पता नहीं, उसे क्या हुआ। वो मानसिक तौर पर बीमार रहने लगा। इसी दौरान 2018 में वह घर से चला गया। मां-पिता बालाघाट जिले में एक वृद्धाश्रम में रहने लगे। इकलौते बेटे के गायब होने के सदमे में पिता की मौत हो गई। मां जिंदा है, लेकिन उसे लगता है कि बेटा जबलपुर पढ़ने गया है। एक दिन जरूर लौटेगा।

संघमित्रा का परिवार बीड़ी बनाने का काम करता है। पक्का मकान सरकारी योजना में मिला है।
बिहार गया था, पाकिस्तान कैसे पहुंचा, नहीं पता प्रसन्नजीत पाकिस्तान कैसे पहुंच गया? इस सवाल का सीधा जवाब किसी के पास नहीं है। संघमित्रा कहती है कि वो बिहार गया था। वहां से पाकिस्तान कैसे पहुंच गया? ये हम लोगों को नहीं पता। 2018 में उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, हो सकता है कि गलती से उसने बॉर्डर क्रॉस किया हो और पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया हो।
हम तो उम्मीद खो चुके थे, एक कॉल से पता चला संघमित्रा बताती है कि उसके गायब होने के बाद हम लोगों ने उसकी कई जगह तलाश की। पुलिस को शिकायत की, मगर उसकी कोई खबर नहीं मिली। माता-पिता पढ़े लिखने नहीं है, इसलिए उन्होंने भी उम्मीद छोड़ दी थी। दिसंबर 2021 में हमारे पास कुलदीप सिंह कछवाहा नाम के शख्स का कॉल आया।
कुलदीप ने दी प्रसन्नजीत के पाकिस्तान में होने की जानकारी जम्मू के कठुआ के रहने वाले कुलदीप ने बताया कि वह भी कोट लखपत जेल में बंद थे। 2021 में वह वहां से रिहा हुए। प्रसन्नजीत उन्हीं के साथ था। उसने अपने परिवार के बारे में उन्हें सारी जानकारी दी थी। प्रसन्नजीत ने उन्हें हमारे बड़े पापा का नंबर दिया था। ये भी बताया था कि उसकी एक बहन यानी मैं संघमित्रा, भांजी सृष्टि और जीजा राजेश खोब्रागढ़े हैं।
जब बड़े पापा के नंबर से उन्हें कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो उन्होंने इंटरनेट से नंबर खोजकर हम लोगों से संपर्क किया। कुलदीप ने बताया कि भाई प्रसन्नजीत का नाम वहां की जेल के रिकॉर्ड में सुनील अते के तौर पर दर्ज है। पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार को प्रसन्नजीत के भारतीय होने संबंधित दस्तावेज मांगे थे।

मैं किसी और को राखी कैसे बांधूंगी- संघमित्रा संघमित्रा बताती है कि मां रात दिन अपने बेटे को याद करके रोती रहती है। राखी से पहले हर साल मेरा मन उदास हो जाता है। मेरा भाई जिंदा है, तो मैं किसी और को राखी कैसे बांधूंगी? मेरे लिए तो मेरा भाई ही मेरी राखी है। पिता तो बेटे की याद में जिंदा रहते भी सदमे में ही रहे। मां का भी वही हाल है।
भाई जिंदा है, लेकिन मैं न तो उससे मिल सकती हूं न ही बात कर सकती हूं। पता नहीं वो पाकिस्तान की जेल में किस हालत में होगा? मैं सरकार से विनती करती हूं कि मेरा भाई बेकसूर है तो उसे वापस हिन्दुस्तान लाया जाए।

प्रसन्नजीत के पाकिस्तान जेल में बंद होने की सूचना के बाद उसे वापस लाने के लिए परिवार ने कलेक्टर के आवेदन दिया था।
पाकिस्तान दुश्मन देश, वहां राखी नहीं भेजेंगे संघमित्रा ने बताया कि उसने एक चिट्ठी के साथ अपने भाई को लाहौर की जेल में राखी भेजने के लिए लिफाफा पोस्ट करना चाहा था, लेकिन उसे बताया गया कि पाकिस्तान दुश्मन देश है। वहां किसी भी तरह के पत्र भेजने पर प्रतिबंध है। इसलिए वह चाहकर भी अपने भाई को अपने मन की बात नहीं कह सकती, न ही उसे राखी भेज सकती हूं।

प्रसन्नजीत के भारतीय नागरिक होने के संबंध में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने मप्र सरकार से 2023 में जानकारी मांगी थी।