नरसिंहपुर में नेशनल हाईवे-44 और 45 के जंक्शन पर लगातार हादसे हो रहे हैं। इन हादसों की वजह स्थानीय लोग कर्व प्रोटेक्शन की अधिक लंबाई को बता रहे हैं। हाल ही में रविवार को एक और हादसा हो गया।
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जबलपुर की तरफ से आ रहा पाइप लदा ट्राला अनियंत्रित होकर पलट गया। गनीमत रही कि पाइपों को बंधी गई जंजीर टूटी नहीं अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। हालांकि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन 2 दिन तक यातायात में असुविधा हुई।
यह जंक्शन कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाने वाले हाईवे का हिस्सा है। यह स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर में भी शामिल है। स्थानीय लोगों और सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों ने चौराहे की डिजाइन में कई खामियां बताई हैं।
चौराहे का कर्व सही नहीं होने से भारी वाहनों के चालकों को गति नियंत्रित करने में परेशानी होती है। फुटपाथी दुकानें और पैदल चलने वालों की मौजूदगी से यह जगह और खतरनाक हो गई है।
नेशनल हाईवे-44 और 45 का मैप।
इंजीनियर ने दिए दो सुझाव
सिविल इंजीनियर शुभम सुडेले ने दो अहम सुझाव दिए हैं। पहला, भोपाल और जबलपुर की तरफ स्पीड रेड्यूसर लगाए जाएं। दूसरा, कर्व स्टोन प्रोटेक्शन का मौजूदा 300 फीट व्यास कम किया जाए।
पिछले 6 महीने में यहां 5 बड़े हादसे हो चुके हैं। 20 जुलाई 2025 को भोपाल से आ रहा एक कंटेनर पलट गया था। इस हादसे में शिवम मेहरा और श्रीकांत विश्वकर्मा की मौत हो गई थी। नीतेश साहू गंभीर रूप से घायल हुआ था। अन्य तीन हादसों में भी कई लोग घायल हुए।
रेडियम रिफ्लेक्टर लगाकर कर रहे अलर्ट
सुआतला थाना प्रभारी बीएल त्यागी ने बताया कि हाईवे किनारे लगी जाली को तोड़कर स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और दुकानों बना ली हैं, हमलोग प्रयास कर रहे हैं कि वहां रेडियम रिफ्लेक्टर आदि लगवाकर राहगीरों को अलर्ट कर सकें ताकि भविष्य में दोबारा ऐसे हादसे ना हो सकें।
वाहनों की गति धीमी करने का प्रयास
मामले को लेकर एनएचएआई जबलपुर के पीडी अमृतलाल साहू ने बताया कि हम समय समय पर निरीक्षण करते हैं। वहां लोग वाहन खड़े कर दुकानों भीड़ लगाए रहते हैं, जिसके कारण बड़े वाहनों से दुर्घटना हो जाती है। हम प्रयास कर रहे हैं कि वहां से निकलने वाले वाहनों की गति धीमी की जा सके और हादसों को रोका जा सके।