MP की राज्य मछली संकट में…. कभी होता था 40 किलो वजन, अब बचा सिर्फ 4 किलो, रिसर्च में खुलासा

MP की राज्य मछली संकट में…. कभी होता था 40 किलो वजन, अब बचा सिर्फ 4 किलो, रिसर्च में खुलासा


मध्यप्रदेश की पहचान बन चुकी महाशीर मछली अब संकट में है. यह वही मछली है जिसे 2011 में राज्य मछली का दर्जा दिया गया था और जिसे लोग “टाइगर फिश” के नाम से भी जानते हैं. कभी नर्मदा में 40 किलो तक वज़न और 7 फीट लंबाई वाली यह मछली पाई जाती थी, लेकिन अब इसका वजन घटकर सिर्फ 4 किलो और लंबाई 2 फीट तक रह गई है.

यह खुलासा जबलपुर स्थित वेटरनरी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर प्रतीक कुमार तिवारी ने किया है.

कैसे घट गई महाशीर मछली?

पहले नर्मदा में महाशीर की आबादी करीब 20% थी.

अब यह घटकर सिर्फ 1% रह गई है.

लंबाई 7 फीट से घटकर 1.5 से 2 फीट.

वजन 40 किलो से घटकर 2-4 किलो.

कहां और कैसे हुई स्टडी?

रिसर्चर प्रतीक तिवारी ने “स्टडी ऑन द ब्रीडिंग ग्राउंड ऑफ महाशीर इन नर्मदा रिवर ऑफ जबलपुर डिस्ट्रिक्ट” विषय पर अध्ययन किया.

रिसर्च नर्मदा नदी के चार घाटों – गौरी घाट, तिलवारा घाट, लम्हेटा घाट और भेड़ाघाट – में किया गया.

करीब 25 किलोमीटर लंबे एरिया में मछलियों की लंबाई, वजन और ब्रीडिंग पैटर्न पर रिसर्च की गई.

25 मछुआरों से ली मदद

अध्ययन के दौरान 25 से ज्यादा मछुआरों से जानकारी जुटाई गई. मछुआरों ने बताया कि महाशीर अभी भी इन घाटों पर ब्रीडिंग कर रही है, लेकिन उसका साइज़ और वजन पहले जैसा नहीं है.

घटने की मुख्य वजहें

फिशरी साइंस कॉलेज जबलपुर के डीन एस.के. महाजन ने बताया कि—

अवैध खनन से नर्मदा का प्राकृतिक आवास नष्ट हो गया.

मछलियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा.

लगातार घटते संसाधनों की वजह से उनका वजन 2-4 किलो और लंबाई 1.5 से 2 फीट तक सीमित हो गई है.

क्यों चिंता की बात?

महाशीर मछली को “नदी की शान” कहा जाता है. इसका आकार और वजन घटना इस बात का संकेत है कि नर्मदा नदी का इकोसिस्टम खतरे में है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अवैध खनन और प्रदूषण पर रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में यह मछली विलुप्त भी हो सकती है.



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