यह खुलासा जबलपुर स्थित वेटरनरी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर प्रतीक कुमार तिवारी ने किया है.
पहले नर्मदा में महाशीर की आबादी करीब 20% थी.
लंबाई 7 फीट से घटकर 1.5 से 2 फीट.
कहां और कैसे हुई स्टडी?
रिसर्च नर्मदा नदी के चार घाटों – गौरी घाट, तिलवारा घाट, लम्हेटा घाट और भेड़ाघाट – में किया गया.
25 मछुआरों से ली मदद
घटने की मुख्य वजहें
अवैध खनन से नर्मदा का प्राकृतिक आवास नष्ट हो गया.
लगातार घटते संसाधनों की वजह से उनका वजन 2-4 किलो और लंबाई 1.5 से 2 फीट तक सीमित हो गई है.
महाशीर मछली को “नदी की शान” कहा जाता है. इसका आकार और वजन घटना इस बात का संकेत है कि नर्मदा नदी का इकोसिस्टम खतरे में है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अवैध खनन और प्रदूषण पर रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में यह मछली विलुप्त भी हो सकती है.