एनसीआर के जाने-माने एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संजय कालरा News18hindi से बातचीत में कहते हैं, ‘पुरुषों और महिलाओं में औसत जीवन प्रत्याशा का फर्क है. महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अंदाजन तीन साल ज्यादा जिंदा रहती हैं. औसतन पुरुष साढ़े 70 साल जबकि महिलाएं साढ़े 73 साल जीती हैं. लेकिन जब हम इनकी रिप्रोडक्टिव लाइफ देखते हैं, यानि वो उम्र जिसमें महिला मां बन सकती है और पुरुष पिता बन सकता है. उसमें ये दिखता है कि महिलाओं की रिप्रोडक्टिव लाइफ का टाइम स्पैन कम है, जबकि पुरुषों का ज्यादा है. करीब 49 साल की उम्र तक महिलाओं के पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं और उनके अंदर के बनने वाले फीमेल हार्मोंस भी खत्म हो जाते हैं. इस दौरान वह प्राकृतिक रूप से मां नहीं बन सकती.इसके अलावा पति के साथ शारीरिक संबंध के लिए जरूरी हार्मोंस में भी कमी आ जाती है.’
प्रेग्नेंसी पर भी पड़ता है असर
अगर महिला पुरुष से बड़ी है और लेट प्रेग्नेंसी का विकल्प चुनती है तो उसमें कई तरह की कॉम्पलिकेशंस आ ही सकती हैं. पैदा होने वाले बच्चों में भी कई तरह की विसंगतियां देखने को मिल सकती हैं. 35 साल एक अनुमानित कट ऑफ है, अगर उससे ऊपर प्रेग्नेंसी में कठिनाइयां होती हैं. डॉक्टर्स ऐसा नहीं कहते कि 40 से उपर मां ही न बनें लेकिन 40 की उम्र के बाद पैदा होने वाले बच्चों में कुछ डिसऑर्डर्स होने की संभावना होती है, बच्चे का आईक्यू कम हो सकता है. हालांकि ऐसी कोई ठोस स्टडी नहीं है लेकिन फिर भी चांसेज हैं.
डॉ. कालरा कहते हैं कि नए कपल अर्जुन तेंदुलकर और सानिया चंडोक को खूब शुभकामनाएं हैं, सब कुछ इनके लिए शुभ हो और ये एकदम खुशहाल जिंदगी जीएं. हालांकि सामान्य तौर पर एज गैप के साथ शादी करने वाले ही नहीं बल्कि अन्य युवाओं की भी एक बार प्री मैरिज काउंसलिंग जरूर होनी चाहिए. जब शादी होती है तो लोग ज्योतिषी से जन्मपत्री मिलवाते हैं, लेकिन एक मेडिकल जन्मपत्री भी मिलवानी चाहिए. आपके ब्लड के टेस्ट होने चाहिए. आपको थेलीसीमिया या कोई और इन्फेक्शन तो नहीं है. यं
क्या कहती हैं साइकोलॉजिस्ट?
जानी मानी साइकोलॉजिस्ट और मैरिज काउंसलर डॉ. निशा खन्ना कहती हैं, ‘मेरे अनुभव में पति की उम्र कम और पत्नी की उम्र ज्यादा होना आजकल काफी कॉमन है. ऐसे बहुत सारे जोड़े हैं, जिनमें इसी तरह का एज गैप है लेकिन बेहद खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं, खुद अर्जुन के माता-पिता सचिन तेंदुलकर और अंजली इसके सबूत हैं. रिश्ता कितना चलेगा यह कपल की कंपेटेबिलिटी पर निर्भर करता है. हो सकता है कि पत्नी बड़ी है तो वह ज्यादा मैच्योर हो लेकिन इससे उनके जीवन पर कोई खराब असर पड़ेगा, ऐसा नहीं है.’